सौभाग्य की प्राप्ति के लिए होता है पूजन सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिनें पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शंकर की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा मजबूत होता है। दिवंगत पूर्वजों के नाम का तर्पण व दान करना शुभ माना जाता है।
सोमवती अमावस्या तिथि अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 29 मई रविवार, दोपहर 2:54 से अमावस्या तिथि समाप्त - 30 मई ,2022, सोमवार शाम 4:59 पर सारे व्रतों में वट सावित्री व्रत को प्रभावी
ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सारे व्रतों में वट सावित्री व्रत को प्रभावी माना जाता है। जिसमें सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर परिक्रमा कर पति के लंबे उम्र की कामना की जाती है। ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया कि व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया जाता है।