एफएओ ने स्पेन की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली कम्पनी हीमेव के साथ मिलकर 2016 में चार साल का टिड्डी स्पेशलाइज्ड ड्रोन टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के जरिए विकसित ड्रोन में एचडी सेंसर कैमरा, थर्मल कैमरा लगा है। इसमें संबंधित क्षेत्र की वनस्पति और वहां मौजूद टिड्डी दल को मैप करने की क्षमता होगी। यह ड्रोन सेटेलाइट को रियल टाइम डाटा भेजने के साथ टिड्डियों पर स्प्रे करता हुआ उड़ेगा। यह हेलीकॉप्टर व एयरक्राफ्ट स्पे्र से काफी सस्ती तकनीक है।
पूरे विश्व के 20 प्रतिशत क्षेत्रफल पर रेगिस्तानी टिड्डी पाई जाती है जो हर साल अफ्रीका में प्रजनन करते हुए अपनी आबादी बढ़ाती है। वर्तमान में टिड्डी को ट्रेक करने की कोई खास तकनीक नहीं है। सेटेलाइट से टिड्डी दल व वनस्पति को लेकर एक्यूरेट जानकारी नहीं मिलती, जिससे टिड्डियों को ट्रेक करने व रोकथाम में मुश्किल आती है। ड्रोन की मदद से टिड्डी के बड़े झुण्डों पर स्प्रे हो सकेगा।
पूरे विश्व के 20 प्रतिशत क्षेत्रफल पर रेगिस्तानी टिड्डी पाई जाती है जो हर साल अफ्रीका में प्रजनन करते हुए अपनी आबादी बढ़ाती है। वर्तमान में टिड्डी को ट्रेक करने की कोई खास तकनीक नहीं है। सेटेलाइट से टिड्डी दल व वनस्पति को लेकर एक्यूरेट जानकारी नहीं मिलती, जिससे टिड्डियों को ट्रेक करने व रोकथाम में मुश्किल आती है। ड्रोन की मदद से टिड्डी के बड़े झुण्डों पर स्प्रे हो सकेगा।