scriptVideo : श्री कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका के समुद्र किनारे उठ रही राजनीति की लहरें, फिर भी प्यासे हैं यहां के बाशिंदे | lok sabha elections 2019 : politics of Dwarka | Patrika News

Video : श्री कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका के समुद्र किनारे उठ रही राजनीति की लहरें, फिर भी प्यासे हैं यहां के बाशिंदे

locationजोधपुरPublished: Apr 15, 2019 04:28:07 pm

Submitted by:

Ashish Joshi

इस क्षेत्र में ऑयल रिफाइनिंग कंपनी हैं। जिसके चलते जामनगर को ऑयल सिटी भी कहा जाता है।

lok sabha elections 2019

श्री कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका के समुद्र किनारे उठ रही राजनीति की लहरें, फिर भी प्यासे हैं यहां के बाशिंदे

आशीष जोशी/द्वारका/जोधपुर. आपको याद होगा कि गुजरात के विधानसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections 2019 ) में नरेंद्र मोदी ( narendra modi ) और राहुल गांधी ( rahul gandhi )ने प्रचार अभियान की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका से की थी। हम भी गुजरात के मन की बात जानने पहुंच गए द्वारकाधीश के द्वार पर। द्वारका को स्वर्ग का द्वार कहा जाता है लेकिन गुजरात का यह जिला आज भी मूलभूत जरूरतों को तरस रहा है। सौराष्ट्र क्षेत्र का यह धार्मिक शहर जामनगर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यह इलाका कच्छ की खाड़ी और अरब सागर से सीधे जुड़ा है। गुजरात के पांच प्रमुख शहरों में एक जामनगर है। इस क्षेत्र में ऑयल रिफाइनिंग कंपनी हैं। जिसके चलते जामनगर को ऑयल सिटी भी कहा जाता है।
समुद्र किनारे बसे होने के बावजूद इस देवभूमि में पानी सबसे अहम मुद्दा है। यहां के बाशिंदों को दो घड़े मीठे पानी के लिए लम्बी जद्दोजहद करनी पड़ती है। जिले के आसपास कुछ इलाकों में नर्बदा का नीर पहुंचा है लेकिन द्वारकाधीश की नगरी आज भी मीठे पानी की राह देख रही है। इस नगरी में जमीन के नीचे पानी का अथाह भण्डार है लेकिन वह खारा है। पीने लायक नहीं है। कहा जाता है कि दुर्वासा ऋषि ने द्वारिका में कभी मीठा पानी उपलब्ध नहीं होने का शाप दिया था। सरकारें भी आज तक इस नगरी को इस शाप से मुक्त नहीं करवा पाई हैं। श्रीकृष्ण की नगरी होने के बावजूद पूरे शहर में आवारा गायें सडक़ों पर घूमती नजर आई। पीएम के स्वच्छता अभियान की तस्वीर भी यहां उजली नहीं दिखी। जगह-जगह गंदगी के ढेर इस धार्मिक पर्यटन नगरी की छवि पर दाग लगा रहे हैं।
नहीं पूरी हुई पटेल की हार्दिक इच्छा
हार्दिक पटेल जामनगर से कांग्रेस के लिए लडऩे के इच्छुक थे लेकिन उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिलने के कारण यहां कांग्रेस ने मुलुभाई कंडोरिया को बीजेपी की पूनम माडम के खिलाफ मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव की महाभारत के बीच भाजपा को गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने लगातार सातवीं बार द्वारका से चुने गए भाजपा विधायक पबुभा माणेक के चुनाव के दौरान नामांकन फार्म में जानकारी छुपाने के आरोप में उनका नामांकन ही रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाने के साथ ही इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर भी स्टे लगा दिया। उनका चुनाव रद्द हो गया है। अब वहां दोबारा चुनाव कराया जाएगा।
पर्यटन पर करोड़ों खर्चे मूलभूत भूले
मतदाताओं के मन की बात जानने हम निकल पड़े शहर में। सबसे पहले एक होटल के बाहर हीरेन ठाकर मिले। बोले- पर्यटन स्थलों पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं लेकिन यहां की जनता की मूलभूत सुविधाओं की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। रोड-रास्ते ठीक हैं लेकिन पानी जैसी सबसे बड़ी जरूरत की सप्लाई ही दस दिन में एक बार होती है। कॉलेज में साइंस और कॉमर्स फैकल्टी नहीं है। हमारे बच्चों को पढऩे के लिए जामनगर, राजकोट या अहमदाबाद जाना पड़ता है। हॉस्पिटल का यह स्तर है कि डिलिवरी और एक्स-रे तक के लिए खंभालिया और जामनगर जाना पड़ता है।
खरीद कर पी रहे पानी
द्वारकाधीश मंदिर के तीर्थ पुरोहित परेश पाटिया ने कहा कि पिछले वर्ष यहां बारिश कम हुई, इसलिए पानी की कमी है। कच्छ और आसपास के 42 गांवों में कई जगह नर्बदा कैनाल पहुंच गई लेकिन द्वारका तक कैनाल नहीं आने से पानी की समस्या है। यहां दो बांध से पानी सप्लाई होता है। अभी तो गर्मी के दो महीने बाकी है। अधिकांश ग्रामीण लोग वर्षा जल संग्रहित कर पूरे साल पीते हैं। समुद्र किनारे होने से कुआं या बोरिंग में नमकीन पानी ही निकलता है। मैं खुद भी पानी खरीद कर पीता हूं। चार गोशालाओं के बावजूद गाय.बेल सडक़ों पर हैं। अस्पताल की अत्याधुनिक बिल्डिंग बन गई, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक भी नहीं है।
आवार पशुओं से आमजन परेशान
क्षेत्र के आसपास के अन्य गांवों और शहरों की स्थिति अपेक्षाकृत ठीक नजर आई। खंभालिया निवासी साकेत ने बताया कि उनके यहां पानी, बिजली, सडक़, शिक्षा और चिकित्सा की स्थिति ठीक है। करीब एक दशक से द्वारका रह रहे जोधपुर निवासी प्रभुराम ने बताया कि मीठे पानी के लिए टैंकर मंगवाने पड़ते हैं। इसके लिए पांच सौ से हजार रुपए खर्च करते हैं। गिर के विजय कंसारा ने बताया कि दोनों ही उम्मीदवार विकास के वादें कर रहे हैं। दुर्वासा ऋषि से शापित होने की वजह से यहां मीठा पानी अब तक नहीं पहुंच पाया। दिनेश भाई से बात कर रहे थे कि आवारा पशु हमारे पास आ गए। मैंने पूछा- इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं देता क्या? दिनेश बोले- नगरपालिका में शिकायत करते हैंए लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य
समुद्र किनारे अहमदाबाद के दिग्विजय देसाई मिले। उन्होंने बताया कि किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा। उन्हें फसल बीमा का पूरा लाभ नहीं दिया जा रहा। बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है। पार्थ देसाई ने कहा कि हमें सेल्फ फायनेंस से उच्च शिक्षा अर्जित करनी पड़ रही है। इसके बाद भी हमें रोजगार नहीं मिल रहा। यहां हमने कुछ मछुुआरों से भी बात कर उनकी समस्याएं जानी। मछली पकडऩे के काम से जुड़़े साकेत भाई ने बताया कि हम मछुआरों की समस्याओं पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। बोट खड़ी करने के लिए पार्किंग की जगह नहीं है। सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए। धंधा चौपट हो चुका है। आगे गोपी गांव में गए। जहां ऐतिहासिक गोपी तालाब है। लेकिन यहां शौचालय गंदे पड़े मिले। गांववासियों को पूछा तो जवाब मिला, अरे साब! पीने के लिए तो पानी है नहीं, शौचालय साफ करने के लिए कहां से लाएं?
चल रहा है सडक़ निर्माण कार्य
हम आगे सौराष्ट्र की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर स्थित आखिरी गांव ओखा पहुंचे। यहां बंदरगाह है नेवी का फॉरवर्ड ऑपरेशनल बेस भी है। करीब 20 हजार की जनसंख्या और पाक सीमा से सटे इस कस्बे में मछली पकडऩा और नमक उत्पादन यहां के दो प्रमुख व्यवसाय हैं। यहां भरत भाई भट्ट मिले। उन्होंने बताया कि यहां सडक़ की स्थिति ठीक नहीं है। ओखा बंदरगाह से बेट द्वारका तक ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। अभी नांव या जहाज से बेट द्वारका जाना पड़ता है। ब्रिज बनने के बाद बेट द्वारका की राह सुगम हो जाएगी।
दुकानदारों ने बयां की पीड़ा
फिलहाल हम जहाज में सवार होकर समुद्र के बीच स्थित टापू (द्वीप) पर बसे बेट द्वारका पहुंचे। वहां द्वारकाधीश के दर्शन के बाद कुछ स्थानीय दुकानदारों से बात की। तस्वीरों की दुकान संचालित करने वाले चेतन भाई ने बताया कि बेट द्वारका पानीए शिक्षा और चिकित्सा तीनों सुविधाओं से महरूम है। दस-दस दिन तक पीने को पानी सप्लाई नहीं हो पाता। हम दुकानदारों के साथ यहां आने वाले भक्तों के लिए एक और बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है। यहां आए दिन लोग इनसे चोटिल होते हैं।
हेरिटेज पर ध्यान, मूलभूत सुविधाओं से किनारा
द्वारका को 2013 में जिले का दर्जा हासिल हुआ। हेरिटेज सिटी डवपलमेंट योजना हृदय में शामिल है। द्वारका में पुरातात्विक विभाग भी खुदाई कर रहा है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण की बसाई नगरी समुद्र में समाहित है। उस शहर को खोजने के लिए पुरातात्विक विभाग समुद्र में तलाशी अभियान चला रहा है। जिले की अर्थव्यवस्था धार्मिक पर्यटन पर निर्भर है लेकिन स्थानीय लोग पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा और साफ. सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है।
जामनगर सीट का महत्व
जामनगर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ और इस चुनाव में कांग्रेस के मनुभाई शाह ने जीत दर्ज की। अगला चुनाव यानी 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने कांग्रेस को शिकस्त दी, लेकिन 1971 में कांग्रेस ने वापसी करते हुए जीत अपने नाम कर ली। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस को झटका लगा और भारतीय लोकदल के उम्मीदवार विनोदभाई सेठ ने बाजी मारी।1980 और 1984 का चुनाव कांग्रेस के नाम रहा, लेकिन 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां प्रवेश किया। वर्ष 1989 से लेकर 1991, 1996, 1998 और 1999 के आम चुनाव में बीजेपी ने लगातार यह सीट अपने नाम की। 2004 में एनडीए के शाइनिंग इंडिया नारे को जब झटका लगा तो जामनगर की सीट भी बीजेपी के हाथ से खिसक गई और कांग्रेस के विक्रम भाई माडम ने चुनाव जीता। 2009 में भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर बाजी मारी। इसके बाद 2014 में मोदी लहर के सामने वह हैट्रिक नहीं लगा सके और बीजेपी के टिकट पर महिला उम्मीदवार पूनम बेन माडम ने विक्रम भाई माडम को शिकस्त दी।
यूं समझिए जामनगर का गणित
जामनगर लोकसभा क्षेत्र पटेल, मुस्लिम और अहिर बहुल्य इलाका है। इसमें कुल सात विधानसभा सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कालावड सुरक्षित सीट से कांग्रेस, जामनगर ग्रामीण से कांग्रेस, जामनगर उत्तर से बीजेपी, जामनगर दक्षिण से बीजेपी, जामजोधपुर से कांग्रेस, खंभालिया से कांग्रेस और द्वारका से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। कुल 7 में से 4 सीट कांग्रेस और तीन सीट बीजेपी ने जीती थीं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो