इस बाबत केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी ने मेडिकोज के ज्ञान को परखने के लिए क्लास लेनी शुरू कर दी है। इसमें जच्चा, बच्चा के शरीर के मेजरमेंट (माप) की हैल्थ इंडेक्स तैयार की जाएगी। इसमें बच्चे की ऊंचाई, वजन, सिर व हाथ की बांहों का नाप, मोटापा जानने के लिए कमर का वजन के अनुसार डाइट तय करने जैसे नए मापदंड बनाए हैं।
वर्तमान में डिलीवरी पीरियड में जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य को लेकर जो कमजोर पहलू सामने आए हैं उनको
ध्यान में रखते हुए ये मापदंड स्वास्थ्य नीति में नए सिरे से शामिल किए जाएंगे। मेडिकोज को जच्चा बच्चा के शारीरिक मेजरमेंट समझाने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी ने दिल्ली से ही इसकी पहली क्लास 6 अक्टूबर को ली। इसमें जोधुपर
एम्स के 48 मेडिकोज, इंटर्न, फैकल्टी और एमबीबीएस अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यहीं से लाइव देखा।
राज्यवार लागू करेंगे फीडबैक
मेडिकोज के ज्ञान को परखने के लिए इसमें अब तक मिले फीडबैक के आधार पर इसकी डीवीडी बनाकर देश के करीब 200 से ज्यादा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भेजी जाएगी। उसके बाद इसे राज्यवार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा सहयोगिनी के माध्यम से जमीनी स्तर पर लागू किया जाएगा।
ये होंगे लाभ
– मेडिकल स्टडी में बायोमेडिकल रिसर्च को बढावा मिलेगा।
– एम्स व देश के कई चिकित्सा संस्थान एक प्लेटफॉम पर होंगे।
– इसके फीडबैक देश के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में लागू करेंगे।
एम्स में कवायद शुरूइस प्रोग्राम के अनुसार गर्भवती महिलाओं और बच्चों के आहार से संबंधित क्लास कौशल विकास से जोडऩे की कवायद एम्स
जोधपुर के इस बैच से शुरू की जा चुकी है। जल्द ही फीडबैक को अन्य चिकित्सा संस्थानों में भी भेजा जाएगा। –
डॉ. कुलदीप सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ व डीन, एकेडमिक, एम्स।