लूणी तक ही आ सके वे सन 1943 में ट्रेन से जोधपुर के लिए रवाना भी हुए थे, लेकिन अंग्रेजों के प्रभाव के कारण उन्हें जोधपुर तक नहीं आने दिया गया। अंग्रेजों के दबाव में रियासत की व्यक्तिगत ट्रेन के कारण लूणी तक ही आ सके थे।
उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे राजस्थान पत्रिका ने अपने स्तर पर खोजबीन की तो जोधपुर में जन्मे राजस्थान के पहले संगीत निर्देशक स्व बृजलाल वर्मा के पुत्र गोपालकृष्ण वर्मा से बातचीत में यह खुलासा हुआ। एेसे कई क्रांतिकारी उनसे मुलाकात करने के लिए लूणी स्टेशन पहुंचे थे।
बृजलाल वर्मा बापू से मिले थे उन्होंने बताया कि उनके पिता ने बताया था कि जोधपुर के चुनिंदा बेबाक लोगों ने उनका लूणी स्टेशन पर स्वागत करना तय किया। तब बृजलाल वर्मा लूणी स्टेशन पर बापू से मिले थे।
छुआछूत की समस्या बताई थी गोपालकृष्ण वर्मा ने पत्रिका को बताया कि उनके पिता बृजलाल वर्मा ने अपने साथियों के साथ लूणी स्टेशन पहुंच कर उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया था। छुआछूत हो रही है
तब उन्हें बताया था कि समाज के साथ इस हद छुआछूत हो रही है कि सफाई कर्मचारी भी सफाई करने के लिए नहीं आते। बापू ने अस्पृश्यता निवारण करवाने के लिए कहा था। कोलकाता मेें गांधी जी से मिले थे
कोलकाता मेें सपत्नीक मिले थे। उन्होंने बताया कि इससे पहले बापू ट्रेन में कहीं जा रहे थे, तब पिता बृजलाल वर्मा कोलकाता रेलवे स्टेशन पर गांधी जी से मिले थे।