मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान में मानसूनी ट्रफ का पश्चिमी हिस्सा हिमालय की तलहटी में है। दो-तीन दिन बाद इसके सामान्य होने पर पश्चिमी राजस्थान में बारिश की गतिविधियों में कमी आ जाएगी। बमुश्किल ही कहीं छींटे गिरेंगे। अंतिम सप्ताह में मानसून के लौटने की घोषणा संभव है। पूर्वी राजस्थान में कुछ हिस्सों में बरसात होगी। वैसे एक जून से अब तक प्रदेश में करीब दस प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।
सितम्बर के अंतिम दस दिनों में तापमान सामान्य से अधिक रहने का पूर्वानुमान है, जिससे गर्मी बढ़ेगी। नमी रहने से उमस का भी असर रहेगा। ऊपर एंटी साइक्लोन, नीचे साइक्लोन
पिछले सप्ताह पश्चिमी राजस्थान में वायुमण्डल के ऊपरी हिस्से में एंटी साइक्लोनिक हवाएं शुरू हो गई। मानसून के समय साइक्लोनिक सुर्कलेशन बनते हैं, लेकिन निचले स्तर साइक्लोनिक हवाएं ही होने से अभी तक मानसून का जाना तय नहीं हुआ है।
श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझनूं, सीकर, नागौर, जयपुर, अलवर, दौसा, करौली, भरतपुर, धौलपुर, कोटा व राजसमंद में 10 से 17 सितम्बर के दौरान एक बूंद भी पानी नहीं बरसा। बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, अजमेर, भीलवााड़ा, चितौडगढ़़, टोंक, बूंदी, सवाईमाधोपुर, और बारां में मामूली बारिश हुई। डूंगरपुर में सामान्य और जालोर, उदयपुर और प्रतापगढ में सामान्य से अधिक बारिश हुई।
‘पश्चिमी राजस्थान में अब बारिश की संभावनाएं कम बची है। पश्चिमी हवा शुरू हो गई है। सितम्बर के अंतिम महीने में मानसून वापसी हो सकती है।’
-आरएस शर्मा, प्रभारी अधिकारी, भारतीय मौसम विभाग जयपुर