15 दिन बाद और आगे 14 दिन तक उन्हें क्वारेंटाइन-आइसोलेशन के लिए उसी होटल या हॉस्टल में रहना होगा ताकि यदि वे संक्रमित हो जाए तो उनके घरवालों तक यह संक्रमण नहीं पहुंचे। अस्पताल प्रशासन व सरकार की तरफ से मेडिकल स्टाफ व मरीजों को रहने, ट्रांसपोर्ट व खाने पीने की सुविधा दी जा रही है।
लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग से ही रूकेगी कोरोना की चैन
डॉ बोराणा ने बताया कि कोरोना वार्ड एमडीएम के चतुर्थ तल पर बनाया गया है जो तीन शिफ्ट में संचालित किया जा रहा है। मरीजों के इलाज के समय मेडिकल स्टाफ अपनी सुरक्षा के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीइ) पहनता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग से ही कोरोना की चैन को रोक पाएंगे।
डॉ बोराणा ने बताया कि कोरोना वार्ड एमडीएम के चतुर्थ तल पर बनाया गया है जो तीन शिफ्ट में संचालित किया जा रहा है। मरीजों के इलाज के समय मेडिकल स्टाफ अपनी सुरक्षा के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीइ) पहनता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग से ही कोरोना की चैन को रोक पाएंगे।
परिवार ने हमेशा सहयोग किया
डॉ बोराणा ने घर जाने व परिजनों के बारे में पूछने पर बताया कि वे एक माह तक घर नहीं जा पाएंगे। कोरोना वार्ड में ड्यूटी की वजह से घरवालों द्वारा चिंंता करने पर उन्होंने बताया कि उनके परिवार में अधिकांश मेडिकल लाइन से ही जुड़े है। उनकी माताजी, बड़े भाई तथा दो बहनें नर्सिंग स्टाफ से है तथा उनकी पत्नी डॉ कीर्ति भाटी भी डॉक्टर है, इसलिए सभी समझते है और परिवार के सभी सदस्यों ने उनको हर समय सहयोग किया है।
डॉ बोराणा ने घर जाने व परिजनों के बारे में पूछने पर बताया कि वे एक माह तक घर नहीं जा पाएंगे। कोरोना वार्ड में ड्यूटी की वजह से घरवालों द्वारा चिंंता करने पर उन्होंने बताया कि उनके परिवार में अधिकांश मेडिकल लाइन से ही जुड़े है। उनकी माताजी, बड़े भाई तथा दो बहनें नर्सिंग स्टाफ से है तथा उनकी पत्नी डॉ कीर्ति भाटी भी डॉक्टर है, इसलिए सभी समझते है और परिवार के सभी सदस्यों ने उनको हर समय सहयोग किया है।