दो दिन तक जिंदगी –मौत से लड़ते आखिर शुक्रवार को बंदर की मौत हो गई। ग्रामीणों को बंदर की मौत के जैसे ही खबर मिली उनका गुस्सा फूट पड़ा। उनकी नाराजगी यह थी कि बार-बार कहने के बावजूद किसी भी अधिकारी ने उनकी बात नहीं सुनी। इससे बंदर की जान चली गई। अब इन ग्रामीणों को यह डर सताने लगा कि यदि बंदर का शव वहां से नहीं हटाया गया तो क्षेत्र में बदबू फैलने से उनका वहां रहना मुश्किल हो जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन मे छैलसिंह, दिलीपशर्मा, केसरसिंह, सुरेन्द्र सिंह, दीपसिंह, प्रदीपसिंह, दिलीप सोंलकी, सुरेन्द्र, अमृतलाल राव, धेाकलराम, खेतसिंह, महेन्द्र देवासी, अरविंद सहित ग्रामीण मौजूद थे। समाचार लिखे जाने तक बंदर का शव मोबाइल टावर पर ही था।