जोधपुर .आद्यशक्ति मां दुर्गा की स्तुति की इन पंक्तियों में कहा गया है कि जोधपुर के किले पर पंख फैलाने वाली माता तू ही हमारी रक्षक हैं। मारवाड़ के राठौड़ वंशज श्येन (चील) पक्षी को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानते हैं। यही कारण है कि मारवाड़ के राजकीय झंडे पर भी मां दुर्गा स्वरूप चील का चिह्न ही अंकित रहा हैं। मेहरानगढ़ दुर्ग के निर्माता जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के राज्य छिन जाने के 15 साल बाद मां दुर्गा ने स्वप्न में आकर उन्हें चील के रूप में दर्शन दिए और सफलता का आशीर्वाद प्रदान किया। राव जोधा ने स्वप्न में मिले निर्देशों का अनुसरण किया और देखते ही देखते उनका राज्य पुन: कायम हो गया। करीब 561 साल पहले मेहरानगढ़ दुर्ग निर्माण के समय से ही मां दुर्गा रूप में चीलों को चुग्गा देने की परम्परा शुरू की जो सदियों बाद भी उनके वंशज आज भी नियमित रूप से जारी रखे हुए हैं। यह परम्परा भारत में केवल जोधपुर में ही हैं। राव जोधा को मां करणी ने आशीर्वाद में कहा था कि जब तक मेहरानगढ़ दुर्ग पर चीलें मंडराती रहेंगी तब तक दुर्ग पर किसी भी प्रकार की कोई विपत्ति नहीं आएगी। उल्लेखनीय है 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जोधपुर शहर सहित किले पर कई बम गिराए गए लेकिन कोई जनहानि या नुकसान नहीं हुई। जोधपुर शहरवासी इसे आज भी मां चामुण्डा की कृपा ही मानते हैं।