श्रीनाथजी ब्रज से पधार कर जोधपुर के चौपासनी चोखा में 6 माह विराजित रहे । इसके बाद ही मेवाड़ के नाथद्वारा पधारे । यही कारण है की चौपासनी चोखा को आज भी छोटा नाथद्वारा कहा जाता है। श्रीनाथजी के नाथद्वारा पधारने के बाद भी श्रीनाथजी की चरण चौकी बैठकजी पर पुष्टिमार्गीय परंपरा व रीति रिवाज अनुसार नित्य सेवा होती है । श्रीमद् वल्लभाचार्य आचार्य चरण श्री महाप्रभु के निधी स्वरूप एवं अष्टसखा कीर्तनकार सूरदासजी के सेव्य स्वरूप श्याम मनोहर प्रभु जोधपुर चौपासनी में श्रीनाथजी के पधारने के पूर्व ही विराजमान थे। श्री श्याम मनोहर प्रभु की पूरे वर्ष पर्यन्त पुष्टिमार्गीय परम्परा अनुसार सेवा क्रम चलता है ।
चौपासनी मंदिर को श्यामबाबा का मंदिर भी कहा जाता है। चतुर्भुज आकृति के बने मंदिर में जन्माष्टमी त्यौहार पर श्रीकृष्ण को पंचामृत से अभिषेक और दूसरे दिन नंद महोत्सव मनाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण दर्शनार्थियों का प्रवेश पूरी तरह बंद है।