40 से 50 फीसदी बच्चों के एक या मल्टीपल दांत खराब 6 साल से छोटे बच्चों को फ्लोराइड वाले टूटपेस्ट न दिए जाने चाहिए। 6 साल के बाद उनके स्थाई दांत आना शुरू हो जाते है। टॉफियां, चॉकलेट सहित अन्य गलत चीजें खाने से 40 से 50 फीसदी बच्चों के एक या मल्टीपल दांत खराब हैं। इनके दांतों की अतिरिक्त केयर की जरूरत है। बड़ों के दांतों में सामान्यत 70 से 80 फीसदी केस दांतों में कीड़ा लगना आदि है। इसमें खान-पान जिम्मेदार है। 90 प्रतिशत लोग सुबह ब्रश करके इतिश्री कर लेते हैं। शाम को सोने से पहले ब्रश करना ज्यादा जरूरी है। एल्कॉल, सिगरेट, बीडी व गुटखा के कारण दांत व मसूड़े पर भी नेगेटिव असर पड़ रहा है।जोधपुर जोन में गुटखे के कारण कैंसर होना आम हो गया है। दूसरे तरह के मरीज अकल ढाढ़ फंसी होने की परेशानी लेकर आते है। हमारा ध्येय रहता हैं कि हरेक व्यक्ति के दांत टीके रहे, हीले नहीं। इसके बाद पायरिया के केस भी खूब आते हैं। ये इन प्रोपर ब्रशिंग के कारण होता है। शुरुआती स्टेज में बचाव हो जाता है।
- डॉ. विकास देव, विभागाध्यक्ष, दंत रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
- डॉ. विकास देव, विभागाध्यक्ष, दंत रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
हर एक मिनट में 16 सौ लोगों की जान ले रहा तंबाकू पूरी दुनिया में प्रति मिनट करीब 16 सौ लोग मुंह के कैंसर के कारण अपनी जान गंवाते है। मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू और उससे जुड़े उत्पाद है। छोटी उम्र में गुटखे का सेवन व धू्म्रपान की लत से सैकड़ों युवा कैंसर की चपेट में आ रहे है। जोधपुर में गुटखा छुड़वाने के लिए संकल्प अभियान चलाने की जरूरत है। छोटा सा छाला भी लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहा है तो तुरंत दंत चिकित्सक से संपर्क साधना चाहिए। मुंह का कम खुलना व खाना खाते वक्त मुंह में जलन होना ये सभी मुख के गंभीर रोगों की निशानी है। कुछ भी हो तो तुरंत दंत चिकित्सक से संपर्क साधे। सामान्यत दांतों में इंफेक्शन या कीड़े की शुरुआत ऊपरी सतह से होती है। जिसे इनेमल कहा जाता है। धीरे-धीरे दूसरी परत डेंटीन व फिर तीसरी सतह पल्प में प्रवेश कर जाता है। अंदरूनी परत में इंफेक्शन पहुंचने पर दर्द गंभीर रूप धारण कर लेता है। इसमें भी मरीज मेडिकल स्टोर्स से दर्द निवारक गोलियां लेकर उपचार कर रहे है। इस अनदेखी में दांत में मवाद पड़ जाती है, जो बाद में सिस्ट व ट्यूमर में बदल जाती है।
- डॉ. शिवदत्त व्यास, वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ