ताजा आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी राजस्थान, देश के सबसे महत्वपूर्ण हाइड्रोकार्बन ब्लॉक्स की धरती बनकर उभर रहा है। केंद्र की ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी के तहत तेल-गैस के नए क्षेत्रों की खोज की कवायद में पश्चिमी राजस्थान अव्वल है। बाड़मेर-सांचोर बेसिन भारत का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का तेल उत्पादक बेसिन बन चुका है। रागेश्वरी डीप गैस क्षेत्र में देश के सबसे बडे ज़मीनी गैस भंडारों के दोहन की तैयारियां चल रही हैं। केयर्न ऑयल एंड गैस सात नए ब्लॉक्स में तेल-गैस की खोज का सर्वेक्षण बाड़मेर व जैसलमेर जिलों में जल्द शुरू करने वाली है।
अब नजर बीकानेर ब्लॉक पर सार्वजनिक स्वामित्व वाली ओएनजीसी बीकानेर जिले में 2,118.83 वर्ग किमी क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस का पता लगाएगी,। कंपनी को तीन साल के लिए एक ब्लॉक आवंटित किया गया है। इसी तरह ऑयल इंडिया लिमिटेड पिछले एक साल से बीकानेर-श्रीगंगानगर ब्लॉक के सियासर में तेल-गैस की खोज कर रही है।
नए क्षेत्र दे रहे शुभ संकेत जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश माथुर के अनुसार इंफ्रा कैंब्रियन युग की अर्थात लगभग 70 करोड वर्ष पहले की चट्टानों में तेल की संभावना वेनेजुएला में हुई खोजों के बाद देखी जाने लगी है। मारवाड़ सुपर ग्रुप की चट्टाने पश्चिमी राजस्थान के थार रेगिस्तान इलाके में फैली है। यहां तेल और गैस के भंडार होने की भरपूर संभावनाएं हैं। जेएनवीयू जियोलॉजी एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद गौड़ का कहना है कि थार रेगिस्तान में हाइड्रोकार्बन की कहानी अभी शुरुआती दौर में है। नवीनतम तकनीक और नए इलाकों में खोज से ये क्षेत्र आर्थिक प्रगति में सबसे आगे बढ़ने की संभावनाओं के संकेत दे रहा है।
बदल गई बाड़मेर की सूरत वर्ष 2009 में तेल उत्पादन शुरू होने के बाद बाड़मेर की सूरत बदल चुकी है। देश के घरेलू उत्पादन में लगभग 20 फीसदी हिस्सा बाड़मेर का है। यहां रोजाना 1.60 लाख बैरल तेल उत्पादन हो रहा है। इससे राज्य को सालाना करीब 3 हजार करोड़ रुपए का राजस्व भी मिल रहा है तो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। नई अन्वेषण नीति के बाद बाड़मेर जिले में ही सात नए ब्लॉक्स में लगभग दो हज़ार करोड़ रुपए निवेश के नए प्रस्ताव कतार में हैं।