आइआइटी का अनुंसधान
IIT jodhpur के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. राकेश शर्मा ने खास तकनीक विकसित कर बालू मिट्टी में लोहा, निकल, क्रोमियन जैसी धातुओं के नैनो कणों को मिश्रित कर सतही क्षेत्रफल बढ़ाया गया। ये धातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया कर ऑक्साइड बनाती हैं। गंदे रसायनयुक्त पानी को उपचारित बालू में डालकर कुछ देर सूरज के प्रकाश में रखा जाता है। धूप में सभी धातुओं के ऑक्साइड नवजात ऑक्सीजन मुक्त कर देते हैं। यह नवजात ऑक्सीजन पानी में रासायनिक अशुद्धियों को विघटन कर उन्हें कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोजन में विभक्त कर देती है। गैसें वायु में मुक्त हो जाती हैं और साफ पानी बच जाता है। इस विधि से सीवरेज के पानी को भी साफ किया जा सकता है।
IIT jodhpur के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. राकेश शर्मा ने खास तकनीक विकसित कर बालू मिट्टी में लोहा, निकल, क्रोमियन जैसी धातुओं के नैनो कणों को मिश्रित कर सतही क्षेत्रफल बढ़ाया गया। ये धातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया कर ऑक्साइड बनाती हैं। गंदे रसायनयुक्त पानी को उपचारित बालू में डालकर कुछ देर सूरज के प्रकाश में रखा जाता है। धूप में सभी धातुओं के ऑक्साइड नवजात ऑक्सीजन मुक्त कर देते हैं। यह नवजात ऑक्सीजन पानी में रासायनिक अशुद्धियों को विघटन कर उन्हें कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोजन में विभक्त कर देती है। गैसें वायु में मुक्त हो जाती हैं और साफ पानी बच जाता है। इस विधि से सीवरेज के पानी को भी साफ किया जा सकता है।
लूणी, जोजड़ी व बांडी नदी साफ हो जाएगी पश्चिमी राजस्थान में टेक्सटाइल व स्टील इण्डस्ट्री प्रमुख है, लेकिन अशुद्ध पानी को शुद्ध करने की तकनीक महंगी है। इससे सभी उद्योग गंदे पानी को लूणी, जोजड़ी व बांडी जैसे नदियों में डालकर उनको प्रदूषित कर दिया है। उपचारित बालू की सस्ती तकनीक से उद्योगों को राहत मिलेगी। साथ ही नदियों को भी पूरे तरीके से शुद्ध किया जा सकेगा।
डॉ. राकेश शर्मा, रसायन विज्ञान विभाग, IIT jodhpur