scriptकोई महिला-बच्चा रक्त की कमी न झेले इसलिए शहर से लेकर गांव तक कर रहे संघर्ष | No woman and child face blood loss, hence the struggle by two friends | Patrika News
जोधपुर

कोई महिला-बच्चा रक्त की कमी न झेले इसलिए शहर से लेकर गांव तक कर रहे संघर्ष

– थैलेसीमिया पीडि़तों और प्रसव बाद रक्त की सर्वाधिक आवश्यकता
– उम्मेद अस्पताल की ब्लड बैंक टीम के साथी
 

जोधपुरMay 16, 2021 / 05:50 pm

Avinash Kewaliya

कोई महिला-बच्चा रक्त की कमी न झेले इसलिए शहर से लेकर गांव तक कर रहे संघर्ष

कोई महिला-बच्चा रक्त की कमी न झेले इसलिए शहर से लेकर गांव तक कर रहे संघर्ष

जोधपुर।
कोरोना महामारी के दौर में वैसे तो रक्तवीर अपना पूरा दम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि अस्पतालों में खून की कमी न हो। लेकिन इन रक्तवीरों के साथ कमान संभाल रहे दो मित्र ऐसे हैं जो महिलाओं व बच्चों के लिए रक्त जुटाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अभी गांवों में लोगों से सम्पर्क कर शिविर भी लगवा रहे हैं तो कई संस्थाओं को प्रोत्साहित कर उम्मेद अस्पताल के ब्लड बैंक को पूरा भरा रखने में जुटे हैं।
उम्मेद अस्पताल में कार्यरत लैब तकनीशियन दुर्गाराम बेनीवाल और नर्सिंग ऑफिसर सुधीरसिंह राठौड़ इस संकट के दौर में यह प्रयास कर रहे हैं कि प्रसव बाद किसी भी महिला या बच्चे की रक्त की कमी से मृत्यु न हो, साथ ही थैलेसीमिया पीडि़तों को भी समय पर रक्त की मदद मिलती रहे। रक्त यूनिट के साथ प्लाज्मा, प्लेटलेटस के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। अभी कोरोना महामारी के चलते लोग अस्पताल में आकर रक्तदान करने से डर रहे हैं। ऐसे में कई बार समय पर रक्त यूनिट उपलब्ध करवाना चुनौती हो जाती है। लेकिन गांवों में सम्पर्क कर यह कमी पूरी करने का प्रयास कर रहे हैं। बेनीवाल और राठौड़ बताते हैं अगर हम रक्त उपलब्ध करवा किसी की जि़न्दगी बचाने में कामयाब होते हैं तो संतुष्टि होती है।
इस प्रकार रहती है उम्मेद अस्पताल में आवश्यकता
– 15 मरीज है थैलेसीमित पीडि़त

– 50 से 60 ब्लड यूनिट की जरूरत प्रतिदिन
– 70 यूनिट तक प्लाज्मा की जरूरत होती है

– 30 यूनिट तक प्लेटलेटस की जरूरत रहती है
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