शुरुआत से ये रहे नियम
शुरुआत में कोरोना संक्रमित शवों का सिवांची गेट स्थित एक मशीन में दाह संस्कार किया जा रहा था। इस दौरान पीपीई किट पहन एक परिजन को केवल शव देखने बुलाया जाता था। प्रशासन के पास दाह संस्कार के लिए अलग से टीम गठित होती थी। टीम के लीडर इंजीनियर स्तर के अधिकारी थे। उधर, दफनाने का कार्य भी इसी टीम के जिम्मे था। बाद में नई गाइडलाइन में अस्पताल से सीधे शव चार पीपीई किट पहने परिजन ले जाने लगे। जिनके साथ एक सरकारी कर्मचारी जाता था। वहीं अब आलम ये हैं कि शव को परिजन खुद ही अंतिम क्रिया के लिए ले जा रहे हैं। कई अस्पताल शवों को घर ले जाने की अनुमति दे रहे हैं।
शुरुआत में कोरोना संक्रमित शवों का सिवांची गेट स्थित एक मशीन में दाह संस्कार किया जा रहा था। इस दौरान पीपीई किट पहन एक परिजन को केवल शव देखने बुलाया जाता था। प्रशासन के पास दाह संस्कार के लिए अलग से टीम गठित होती थी। टीम के लीडर इंजीनियर स्तर के अधिकारी थे। उधर, दफनाने का कार्य भी इसी टीम के जिम्मे था। बाद में नई गाइडलाइन में अस्पताल से सीधे शव चार पीपीई किट पहने परिजन ले जाने लगे। जिनके साथ एक सरकारी कर्मचारी जाता था। वहीं अब आलम ये हैं कि शव को परिजन खुद ही अंतिम क्रिया के लिए ले जा रहे हैं। कई अस्पताल शवों को घर ले जाने की अनुमति दे रहे हैं।
किसने घर ले जाकर क्या किया, किसे क्या पता? अस्पताल प्रशासन इन दिनों शवों को सीधे परिजनों को सौंप रहा है। यहां तक की शव को पैक रखने के लिए कह रहे हैं। शिकायतें आ रही हैं कि कई परिजन रीति-रिवाज अनुसार बाकायदा घर ले जाकर शव को स्नान तक करवा रहे हैं। कई तरह के पंचामृत आदि का सेवन भी करवा रहे हैं। लोगों का कहना है कि घर ले जाने की अनुमति पर परिजन जाने-अनजाने में कई तरह की गलतियां कर रहे हैं। जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा है।
इनका कहना है… अस्पताल प्रशासन शव सुपुर्द करने से पहले अंडरटेकिंग लेता है। शव के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ हो रही है तो गलत है। यदि कोई शिकायत करेगा तो कार्रवाई करेंगे।
– डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ
– डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ