— जोधपुर में अभी भी खुले में ही डाली जा रही स्लरी जोधपुर में स्टोन कटिंग इकाइयों से निकलने वाली स्लरी के लिए चिन्हित स्थान नहीं है। यहां बड़े पैमाने पर स्टोन कटिंग इकाइयों से स्लरी का निस्तारण खुले में ही किया जा रहा है। इससे यहां जगह-जगह स्लरी के बड़े पहाड़ बन गए है । जो पर्यावरण व जनजीवन को नुकसान पहुंचा रहे है।
— पत्रिका ने उठाया था मामला राजस्थान पत्रिका ने जिले में स्टोन कटिंग इकाइयों से निकलने वाली स्लरी के लिए चिन्हित स्थान नहीं होने का मामला उठाता रहा है। जिसमें बताया कि इन इकाइयों से करीब ३० हजार टन स्लरी प्रतिदिन निकलती है।
— एक नजर में स्टोन कटिंग उद्योग वर्गीकरण—- जोधपुर—– बालेसर क्वारी लाइसेंस इकाइयां – 5000-6000— 4000-5000 स्टोन कटिंग इकाइयां – 1500 —- 1200 प्रतिदिन कटिंग पत्थर – 60 हजार टन—- 40 हजार टन
प्रतिदिन निकलने वाली स्लरी – 20 हजार टन—- 15 हजार टन —- जमीन का आवंटन हो गया है।खानधारकों को इकाइयों से निकलने वाली स्लरी चिन्हित जगह पर ही डालने के लिए पाबंद किया जाएगा।
चन्दनकुमार, सहायक खनि अभियंता बालेसर