केंद्र सरकार ने 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी लागू की थी। प्रदेश में सहकारी समितियों ने 10 नवम्बर के बाद पुराने नोट लेना बंद कर दिया। आरबीआई ने देश के विभिन्न बैंकों और संस्थाओं से अंतिम रूप से पैसे लेने के लिए 31 मार्च 2017 का समय दिया था। इतना समय होने के बावजूद जालोर की मालगढ़ और घाणा जीएसएस ने समय पर पैसे जमा नहीं कराए। मालगढ़ जीएसएस के पास 24 लाख और घाणा जीएसएस के पास 14 लाख रुपए के पुराने नोट पड़े हैं।
जीएसएस का तर्क बैंक में खाता नहीं खुलवाया
जालोर के केंद्रीय सहकारी बैंक का तर्क है कि दोनों जीएसएस ने बैंक में खाता नहीं खुलवाया था इसलिए पुराने नोट उनके पास पड़े रह गए, जबकि बैंक में खाता खुलवाना बड़ी बात नहीं है। अन्य जीएसएस ने भी पैसे जमा करवाया है। सूत्रों के मुताबिक कुछ अन्य लोगों की ब्लैक मनी को एडजस्ट करने के लिए जीएसएस ने अपने पास पुराने नोट इकठ्ठा कर लिए। यह अब जांच का विषय है। वैसे दोनों जीएसएस की 2017, 2018 और 2019 की ऑडिट रिपोर्ट में भी पुराने नोटों का जिक्र है।
जालोर के केंद्रीय सहकारी बैंक का तर्क है कि दोनों जीएसएस ने बैंक में खाता नहीं खुलवाया था इसलिए पुराने नोट उनके पास पड़े रह गए, जबकि बैंक में खाता खुलवाना बड़ी बात नहीं है। अन्य जीएसएस ने भी पैसे जमा करवाया है। सूत्रों के मुताबिक कुछ अन्य लोगों की ब्लैक मनी को एडजस्ट करने के लिए जीएसएस ने अपने पास पुराने नोट इकठ्ठा कर लिए। यह अब जांच का विषय है। वैसे दोनों जीएसएस की 2017, 2018 और 2019 की ऑडिट रिपोर्ट में भी पुराने नोटों का जिक्र है।
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सरकार को बता दिया
हमने राज्य सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है। जीएसएस ने बताया कि वे समय पर बैंक में खाता खुलवाना भूल गए इसलिए पुराने नोट पड़े रह गए।
केके मीणा, महाप्रबंधक, केंद्रीय सहकारी बैंक जालोर
सरकार को बता दिया
हमने राज्य सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है। जीएसएस ने बताया कि वे समय पर बैंक में खाता खुलवाना भूल गए इसलिए पुराने नोट पड़े रह गए।
केके मीणा, महाप्रबंधक, केंद्रीय सहकारी बैंक जालोर