प्रदेश के विभिन्न जिलों से गुजरने वाले एनएच पर किसान अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक मुश्त प्याज बेच रहे हैं। अन्य राज्यों से आने वाले ट्रक ड्राइवर, खुद गाड़ी से घूमने निकले पर्यटक, कॉमर्शियल वाहन और अप-डाउन करने वाले लोग प्याज खरीद रहे हैं।
एनएच पर केवल 50 किलो प्याज की बोरी मिल रही है जिसकी कीमत 250 से लेकर 300 रुपए आ रही है। इस बार सर्दियों में मावठ कम होने से बम्पर फसल हुई। प्याज के निर्यात पर रोक लगी होने से नवम्बर-दिसम्बर 2015 में किसानों को प्याज यहीं खपाना पड़ी।
यह फसल बिकी ही नहीं कि फरवरी में राजस्थान के अलवर, मध्यप्रदेश के नीमच, मदंसौर, गुजरात के भावनगर व महाराष्ट्र के नासिक से नई फसल आ गई। मई में मध्यप्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र से एक और फसल आई। अब अगस्त में कर्नाटक, आंध्रा व तेलंगाना की प्याज आने वाली है।
सरकार ने हालांकि मार्च-अप्रेल में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया, लेकिन तब तक अरब, यूरोप और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में पाकिस्तान, चीन व अफ्रीका की प्याज पहुंच गई। एेसे में भारत के प्याज की डिमाण्ड कम हो गई।
कहां बैठे हैं किसान – अम्बाला से पाली आने वाले एनएच-65 – बर-जोधपुर-बाड़मेर के एनएच 112 – जोधपुर-पोकरण एनएच 114 पर – अजमेर-नागौर-बीकानेर एनएच 89 पर – पिण्डवाड़ा से इलाहाबाद एनएच 76 पर
– हनुमानगढ़ से गुजरात जाने वाला एनएच-15 पर प्याज एक तथ्य – 500 बोरी प्याज की प्रत्येक खेत में पैदावार हुई है यानी 25 हजार किलो – 203 लाख टन प्याज पूरे देश में होने का अनुमान
– 15 लाख टन प्याज पिछले साल से अधिक