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पंडाल की व्यवस्था न पुलिस देखती है ना प्रशासन, हादसा हुआ तो जिम्मेदारी आयोजक की!

locationजोधपुरPublished: Jun 25, 2019 02:48:47 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

हजारों की भीड़ वाले पंडाल लगाने के लिए कोई नियम-कायदे व सुरक्षा के मानक तय नहीं, अनुमति के नाम पर पुलिस व नगर निगम की फोरी कार्यवाही

Pandal Collapse in Barmer

पंडाल की व्यवस्था न पुलिस देखती है ना प्रशासन, हादसा हुआ तो जिम्मेदारी आयोजक की!

रणवीर चौधरी/जोधपुर. शहर में धार्मिक-सामाजिक व कथा-सत्संग के आयोजनों में हजारों की भीड़ वाले पंडाल लगाने के लिए कोई भी नियम व सुरक्षा मानक तय नहीं हैं। ऐसे समारोह की अनुमति देते समय पुलिस हजारों लोगों की सुरक्षा व्यवस्था की बजाए केवल लाउड स्पीकर व ट्रेफिक व्यवस्था देखती है। वहीं नगर निगम एनओसी जारी कर कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों पर थोप देता है। ऐसे में हादसा होने पर हादसे का जिम्मेदार भी आयोजक को बना दिया जाता है।
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पंडाल में आमजन की सुरक्षा को लेकर किसी तरह की जांच पुलिस व नगर निगम दोनों विभाग नहीं कर रहे। शहर में गत चार माह में कई बड़े धार्मिक आयोजन हुए, लेकिन किसी भी आयोजक द्वारा फायर एनओसी नहीं ली गई। जिम्मेदारों की इसी बेपरवाही के कारण बाड़मेर जिले के जसोल में कथा के दौरान तेज आंधी आते ही पूरा पंडाल तिनके की तरह बिखर गया। पंडाल में लगे लोहे के पोल में करंट फैलने से 15 लोगों की मौत हो गई।
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पुलिस : सुरक्षा की बजाए केवल यातायात व्यवस्था की जांच

शहर में ऐसे धार्मिक-सामजिक आयोजन के लिए पहले पुलिस विभाग से अनुमति लेनी होती है। डीसीपी (वेस्ट) मोनिका सैन ने बताया कि डीसीपी पूर्व व पश्चिम कार्यालय से आवेदन फॉर्म आयोजन स्थल से सम्बधित थाना क्षेत्र में भेजा जाता है। जहां पुलिस पंडाल लगने से पहले मौके का निरीक्षण कर आयोजक से शपथ पत्र भरवाती है। जिसमें आयोजन स्थल पर भीड़ की संख्या, लाउडस्पीकर के 10 बजे बाद नहीं बजाने व आयोजन सम्बंधी सभी जिम्मेदारी लेने की बात होती है। इसके साथ ही ट्रेफिक पुलिस, नगर निगम व अग्निशमन विभाग से एनओसी भी ली जाती है। तीनों विभाग से एनओसी मिलने के बाद पुलिस की ओर से अनुमति जारी की जाती है।
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नगर निगम : फीस वसूलता है, लेकिन जिम्मेदारी आयोजक की

नगर निगम के राजस्व निरीक्षक रणवीर देथा ने बताया कि ऐसे समारोह की अनुमति तो पुलिस द्वारा दी जाती है, लेकिन आयोजन स्थल की एनओसी नगर निगम द्वारा जारी होती है। आयोजन की संपूर्ण जिम्मेदारी आयोजक की होती है। एनओसी के लिए आयोजन स्थल पर 10 गुणा 15 वर्ग फीट का टेंट लगाने पर एक हजार रुपए, 15 गुणा 30 की पर टेंट लगाने के तीन हजार रुपए वसूले जाते हैं।
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लापरवाही : कथा-सत्संग के लिए चार माह से एक ने भी नहीं ली फायर एनओसी
मुख्य अग्निशमन अधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि समारोह में फायर ब्रिगेड की गाड़ी नगर निगम या जिला कलक्टर से परमिशन के बाद उपलब्ध करवाई जाती है। इसके लिए नगर निगम में रसीद भी कटवानी होती है। गत चार माह से कथा या सत्संग समारोह में फायर एनओसी के लिए एक भी आवेदन नहीं आया। फायर एनओसी के लिए समारोह स्थल पर इमरजेंसी एग्जिट गेट की व्यवस्था जरूरी है। लूज वायरिंग न हो। ज्वलनशील सामग्री नहीं रखें। मौके पर पानी के टैंकर भी होने चाहिए।
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अनदेखी : पंडाल को लेकर कोई नियम व कानून नहीं

समारोह में पंडाल लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसको लेकर प्रशासन की ओर से कोई नियम या एडवायजरी नहीं है। कार्यक्रम की अनुमति देते समय पुलिस प्रशासन व नगर निगम पंडाल की जांच तक नहीं करते। एक तरफ जहां प्रशासन की ओर से तेज आंधी-तूफान के अलर्ट जारी किए जा रहे हैं, दूसरी तरफ ऐसे मौसम में सबसे ज्यादा जोखिम वाले शामियानों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। तेज आंधी में बिजली के पोल तक उखड रहे हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से ऐसे मौसम के दौरान टेंट लगाकर कार्यक्रम करने पर कोई पाबंदी तक नहीं है।
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हैरत : बगैर अनुमति के ही हो गई ढाई सौ से अधिक कथाएं

जोधपुर में 19 जून को एम्स रोड पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। इसमें 60 गुणा 120 का डोम लगाकर करीब डेढ़ हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई। यहां चांदपोल बड़ा रामद्वारा के संत हरिराम शास्त्री ने कथा की। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई। संत हरिराम शास्त्री ने बताया कि पिछले एक दशक में उन्होंने जोधपुर शहर में ढाई सौ से अधिक कथाएं की हैं, लेकिन उन्हें आज तक नहीं पता कि प्रशासन से अनुमति लेने की कोई प्रक्रिया भी है।
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इनका कहना है
15 दिन में सरकार को सौंपेंगे रिपोर्टहादसे की जांच शुरू कर दी है। हादसे का कारण व हादसे के दोषियों के संबंध में जांच कर भविष्य में ऐसे हादसे न हो इसके लिए सुझाव भी रिपोर्ट में शामिल करेंगे। जांच कर रिपोर्ट 15 दिन में सरकार को सौंपेंगे। इसके लिए आयोजक, टेंट संचालक व लोगों के बयान भी लिए जाएंगे।
– बीएल कोठारी, संभागीय आयुक्त, जोधपुर

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