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रात में खिलते हैं पारिजात के पुष्प, महकती है खुशबू

locationजोधपुरPublished: Oct 28, 2020 12:21:23 am

Submitted by:

pawan pareek

लवेरा बावड़ी (जोधपुर) . रात के अंधेरे में चमकते फूल, बिखरती खुशबू। बावड़ी के हरिओम कुटिया आश्रम व अणवाणा में लगा पारिजात हारसिंगार के पौधे पर कुछ यूं ही नजर आते हैं। करीब दस से पन्द्रह फीट के इस पौधे पर रात में फूल खिलते हैं।

रात में खिलते हैं पारिजात के पुष्प, महकती है खुशबू

रात में खिलते हैं पारिजात के पुष्प, महकती है खुशबू

लवेरा बावड़ी (जोधपुर) . रात के अंधेरे में चमकते फूल, बिखरती खुशबू। बावड़ी के हरिओम कुटिया आश्रम व अणवाणा में लगा पारिजात हारसिंगार के पौधे पर कुछ यूं ही नजर आते हैं। करीब दस से पन्द्रह फीट के इस पौधे पर रात में फूल खिलते हैं। खुशबू की तो बात ही निराली है। सफेद रंग के फूलों के बीच नारंगी रंग की डंडी बहुत ही मनभावन लगती है।

संत ज्ञानदास ने बताया कि आश्रम में एक पौधा हारसिंगार अर्थात पारिजात का लगाया गया है। जो बड़े आकार का है। अणवाणा के नाथूसिंह भाटी ने बताया कि करीब तीन साल पहले यह पौधा लगाया गया था। रात में खिलने वाला फूल सुबह होते ही पेड़ से अलग हो कर जमीन पर गिर जाता हैं।
इसके फूलों की महक से सारा वातावरण सुगंधित हो जाता है। ये ही एक ऐसा फूल है जो गिरा हुआ भगवान को चढाया जाता हैं। आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. रूपेश ओझा ने बताया की पारिजात का पौधा औषधियों गुणों की खान है। आयुर्वेद में इसके तने से लेकर शिखा तक का जटिल व असाध्य रोगों में कारगर इलाज का वर्णन मिलता हैं। इसकी पत्तियां खुरदरी होती है।

पत्तियों का काढ़ा बनाया जाता है। इसका तना गोल होने के बजाय चौरस होता है। अंग्रेजी में नाइट जास्मीन,वानस्पतिक नाम निक्टिंथींस आर्बर टिस्टिस, संस्कृत में शेफालिका, हिन्दी में हारसिंगार, गुजराती में हरशणगार, उर्दू में गुलजाफरी व पर्याय कल्पदु्रम, शेफाली है।
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