संत ज्ञानदास ने बताया कि आश्रम में एक पौधा हारसिंगार अर्थात पारिजात का लगाया गया है। जो बड़े आकार का है। अणवाणा के नाथूसिंह भाटी ने बताया कि करीब तीन साल पहले यह पौधा लगाया गया था। रात में खिलने वाला फूल सुबह होते ही पेड़ से अलग हो कर जमीन पर गिर जाता हैं।
पत्तियों का काढ़ा बनाया जाता है। इसका तना गोल होने के बजाय चौरस होता है। अंग्रेजी में नाइट जास्मीन,वानस्पतिक नाम निक्टिंथींस आर्बर टिस्टिस, संस्कृत में शेफालिका, हिन्दी में हारसिंगार, गुजराती में हरशणगार, उर्दू में गुलजाफरी व पर्याय कल्पदु्रम, शेफाली है।