शहर में कई जगहों पर बिजली के तार खुले पड़े हैं। इनमें मंडोर कृषि मंडी परिसर में पशु खाने की तलाश में जाते है और खुले तारों के करंट की चपेट में आ जाते हैं। शहर में वर्ष २०१७ में रेलवे स्टेडियम के पास सडक़ किनारे गंदे नाले में गिरने से एक व्याख्याता व मंडोर में एक महिला व बच्चे की इसी प्रकार नाले में गिरने से मौत हो गई थी। मानसून की बारिश में तीन लोगों की मौत के बाद नगर निगम ने बरसाती नालों को ढकने का कार्य शुरू करवाया था। अधिकतर जगहों पर नालों को ढक दिया गया, लेकिन इसके बाद इन नालों की सुध नहीं ली गई। अधिकांश जगहों पर ढके हुए नाले क्षतिग्रस्त हो गए और पत्थर की पट्टियां टूटने से आए दिन पशुओं की इनमें गिरने के बाद फंसने से मौत हो जाती हैं।
बरिश में खुला नाला नहीं दिखने पर होते हैं हादसे नगर निगम के अनुसार चौपासनी रोड पर नाला पूरी तरह से ढका हुआ है। लेकिन नाले को ढकने के लिए लगाई पत्थर की पट्टियां जगह-जगह से टूटी हुई हैं। इससे पशुओं की नाले में गिरने से मौत हो जाती है। नाला सडक़ किनारे होने के कारण बारिश में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर सडक़ पर बहता है। पानी के कारण नाला नहीं दिखने से कई लोग नाले में गिर जाते हैं। इसी तरह चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में सेंट्रल एकेडमी स्कूल, पहला पुलिस स्थित डिफेंस कॉलोनी, मंडोर रोड स्थित अम्बा बेरा, आरपीटीसी सेंटर के पास अधिकांश जगहों पर नालों को ढका गया था। लेकिन वापस मरम्मत नहीं होने के करण अधिकांश जगहों पर नाले खुले पड़े हैं।
बिजली के खुले तारों से सबसे ज्यादा पशुओं की मौत
शहर के सेक्टर ७, मंडोर ओवर ब्रिज चौराहा, नयापुरा चौराहा, मंडोर सेटेलाइट अस्पताल के पास, मंडोर कृषि मंडी परिसर, जीरा मंडी परिसर, भदवासिया रोड बिजली के तार खुले पड़े हैं। डीपी के इन तारों से करंट लगने से आए दिन पशुओं की मौत होती हैं। बारिश के दौरान यह आंकड़ा बढ़ जाता है और कई बार राह चलते लोग भी करंट की चपेट में आ जाते हैं। जिला प्रशासन की मानूसन की तैयारियों को लेकर बुधवार को आयोजित हुई बैठक में डिस्कॉम अधिकारियों को बिजली के खुले तारों को ढकने और डीपी को सुरक्षित स्थान पर रखने के निर्देश दिए थे।