सीटीवीएस विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन में पेट की महाधमनी के डिजीज हिस्से को आर्टिफिशियल ग्राफ्ट के माध्यम से बायपास किया जाता है। इस ऑपरेशन में ग्राफ्ट का ऊपरी हिस्सा थोरेसिक एरोटा तथा निचला हिस्सा छाती व पेट के रास्ते होते हुए जांघों की मुख्य धमनियों में लगाया जाता है। ऑपरेशन में सीटीवीएस विभाग के डॉ सुभाष बलारा, एनेस्थेसिया के डॉ राकेश करनावत,डॉ वंदना शर्मा , परफ्यूशनिस्ट माधव सिंह, ओटी स्टाफ लीला, आसिफ और हरीश शामिल थे। ऑपरेशन 3 घंटे चला, ऑपरेशन के पश्चात मरीज का इलाज सीटीआईसीयू में हुआ। जहां डॉ अभिषेक ,डॉ अंशुमन,डॉ हेमाराम, स्टाफ मनीष, नरेश, हरि सिंह का सहयोग रहा।
ये रहता हैं बीमारी का मुख्य कारण महाधमनी रोग का मुख्य कारण डायबिटीज, हाइपरटेंशन ,हाइपरलिपिडेमिया धूम्रपान, फैमिली हिस्ट्री है। यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा पाई जाती है। इस बीमारी में खून की महाधमनी में कैलशिफिकेशन तथा एथेरोमा जमने लगता है। जिसके कारण ज्यादातर महाधमनी में रुकावट शुरू हो जाती है, जो पैरों की मुख्य धमनी तक पहुंचती है। सही समय पर इलाज होना आवश्यक है अन्यथा पैरों को काटने तक की नौबत आ जाती है। इस बीमारी को क्लीनिकल सिम्टम्स तथा सीटी एंजियोग्राफी से डायग्नोस किया जाता है। इसका इलाज बाईपास ग्राफ्टिंग है, ऑपरेशन के दौरान तथा पश्चात मरीज को खून पतला होने की दवाइयां दी जाती हैं। ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नि:शुल्क किया गया।