राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी (JNVU)और अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी (MDS) के एक्ट में कुलपति की योग्यता सम्बंधी प्रावधानों में संशोधन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने पिछले साल एमडीएस यूनिवर्सिटी के नव नियुक्त कुलपति डॉ. आरपी सिंह को ड्यूटी संपादित करने से रोक दिया था।
मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश विनीतकुमार माथुर की खंडपीठ ने यह कहते हुए लक्ष्मीनारायण बैरवा की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज किया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकरण में यह निर्धारित किया है कि यूजीसी के रेग्यूलेंशंस अनुशंसित प्रकृति के हैं और राज्य या केंद्र के कानून से बनी यूनिवर्सिटी अपने वैधानिक अधिकारों के दायरों में उन्हें अपनाने या अपने कानून में संशोधन के बाद बदलाव करने के लिए सक्षम हैं। याचिका में राज्य सरकार की ओर से 5 मई, 2017 को जारी राज्य सरकार की दो अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई थी। इन अधिसूचनाओं में जेएनवीयू तथा एमडीएस यूनिवर्सिटी एक्ट में कुलपति की योग्यता संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए गए थे।
याचिकाकर्ता का कहना था कि एक्ट में किए गए संशोधन यूजीसी रेग्यूलेंशंस-2010 के विपरीत हैं। यूजीसी रेग्यूलेशंस के अनुसार कुलपति में उच्च स्तर की दक्षता, नैतिकता, संस्थागत समर्पण व बेदाग छवि के साथ दस साल यूनिवर्सिटी सर्विस में प्रोफेसर रहने का अनुभव होना चाहिए। जबकि इन संशोधनों के बाद राज्य में नैतिकता संबंधी अर्हताएं हटाते हुए यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रोफेसर रहने के अनुभव को जोड़ दिया गया था। याची की ओर से अनिरुद्ध पुरोहित और अप्रार्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और कुलदीप माथुर ने पैरवी की।