उम्मेद भवन पैलेस : फैक्टफाइल लॉन सहित उम्मेद भवन का निर्माण : 26 एकड़ क्षेत्रफल में
भवन का शिलान्यास : 18 नवम्बर सन 1929 को महाराजा उम्मेदसिंह ने किया शिलान्यास के मुहूर्त पर खर्च : कुल 34,836 रुपये और 7 आने
ेमहल की तामीर का स्थान : 195 मीटर लंबाई और 103 मीटर चौड़ाई में
भवन का शिलान्यास : 18 नवम्बर सन 1929 को महाराजा उम्मेदसिंह ने किया शिलान्यास के मुहूर्त पर खर्च : कुल 34,836 रुपये और 7 आने
ेमहल की तामीर का स्थान : 195 मीटर लंबाई और 103 मीटर चौड़ाई में
महल निर्माण की शुरुआती राशि : 52,12,000 रुपये
भवन के निर्माण पर खर्च : 94,51,565 रुपये कन्स्ट्रक्शन-प्रोजेक्ट वर्क : 1,09,11,228 रुपयों की लागत से पूरा
बगीचे की जगह : 15 एकड ़ भूमि केंद्रीय गुम्बज : ऊंचाई 150 फ ीट, गोलाई के लिए 15 बड़े- बड़े स्तम्भ
पैलेस में कमरे : 365
भवन के निर्माण पर खर्च : 94,51,565 रुपये कन्स्ट्रक्शन-प्रोजेक्ट वर्क : 1,09,11,228 रुपयों की लागत से पूरा
बगीचे की जगह : 15 एकड ़ भूमि केंद्रीय गुम्बज : ऊंचाई 150 फ ीट, गोलाई के लिए 15 बड़े- बड़े स्तम्भ
पैलेस में कमरे : 365
महल में लकड़ी : 20,000 घन फु ट बर्मा टीक महल में
विद्युत तार : 10,00,000 मीटर
विंटेज कारें और शाही शादियां
यह रियासतकाल की कई परंपराओं का साक्षी और एक ऐसी धरोहर है, जिस पर सभी को नाज है। आज उम्मेद भवन का अली अकबर हॉल कई यादगार आयोजनों के लिए जाना जाता है। पहले भवन के अंदर घुसते ही अंदरूनी हिस्से में झाडिय़ां थीं, जहां पार्किंग होती थी, बाद में विंटेज कारें रखी गईं। ये कारें रैली के समय निकलती हैं। आज इसका लॉन व बारादरी बरसों शानदार म्यूजिकल कार्यक्रमों के लिए जाने जाते हैं। आज यह भवन बहुचर्चित नीलामी, शाहीशादियों, राजसी पार्टियों के लिए भी जाना जाता है। म्यूजिकल नाइट में यह रंगबिरंगी रोशनी से जगमगाता है। रंगबिरंगी रोशनी में तो इसकी आभा बहुत खूबसूरत नजर आती है। इसे देखने का टिकट लगता है। देसी व विदेशी पर्यटकोंके लिए टिकट की दर अलग अलग है। पर्यटक अब इसका एक हिस्सा देखते हैं, इसके दूसरे हिस्से में होटल है।
विद्युत तार : 10,00,000 मीटर
विंटेज कारें और शाही शादियां
यह रियासतकाल की कई परंपराओं का साक्षी और एक ऐसी धरोहर है, जिस पर सभी को नाज है। आज उम्मेद भवन का अली अकबर हॉल कई यादगार आयोजनों के लिए जाना जाता है। पहले भवन के अंदर घुसते ही अंदरूनी हिस्से में झाडिय़ां थीं, जहां पार्किंग होती थी, बाद में विंटेज कारें रखी गईं। ये कारें रैली के समय निकलती हैं। आज इसका लॉन व बारादरी बरसों शानदार म्यूजिकल कार्यक्रमों के लिए जाने जाते हैं। आज यह भवन बहुचर्चित नीलामी, शाहीशादियों, राजसी पार्टियों के लिए भी जाना जाता है। म्यूजिकल नाइट में यह रंगबिरंगी रोशनी से जगमगाता है। रंगबिरंगी रोशनी में तो इसकी आभा बहुत खूबसूरत नजर आती है। इसे देखने का टिकट लगता है। देसी व विदेशी पर्यटकोंके लिए टिकट की दर अलग अलग है। पर्यटक अब इसका एक हिस्सा देखते हैं, इसके दूसरे हिस्से में होटल है।
सूरसागर के पत्थरों से बनी इमारत धरोहर इतिहासकार व इंटैक के पूर्व महानिदेशक स्व.महेंद्रसिंह नगर ने बताया था कि उम्मेद भवन पैलेस बनाने के लिए जोधपुर के सूरसागर फिदूसर की खानों से पत्थर निकाले गए थे। इन खण्डों (पत्थरों के टुकड़ों) को लाने के लिए विशेष रूप से मीटरगेज की रेलवेलाइन बिछाई गई थी। आम तौर पर इन खंडों को जोडऩे के लिए चूने और सीमेंट के मसाले का इस्तेमाल किया जाता है, मगर यहां तो प्रत्येक खण्ड के लिए जटिल आंतरिक इण्टर लॉकिंग पद्धति काम में ली गई, ताकि यह मजबूत रहे।