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पिकनिक टाइम :जोधपुर के बाशिंदों और सैलानियों की आंखों की ठंडक है यह किला

locationजोधपुरPublished: Apr 13, 2018 03:56:54 pm

Submitted by:

M I Zahir

यह है जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग। इसकी खूबसूरती एेसी बेमिसाल है कि सैलानी इसकी ऊंचाई देखते ही रह जाते हैं।

mehrangarh fort jodhpur

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जोधपुर .रूप अगर हो देखणो देखो यां की ओर, आ म्हारा मेहरानगढ़ आ म्हारा मंडोर। यह है जोधपुर का मेहरानगढ़। आप घूमने फिरने के शौकीन हैं तो यह जानकारी आपके लिए ही है। यह है जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग। इसकी खूबसूरती एेसी बेमिसाल है कि सैलानी इसकी ऊंचाई देखते ही रह जाते हैं। एक एेसा शानदार किला जिसे कोई जीत न सका। किले जाने के दो रास्ते हैं, सामने का रास्ता एक नागौरी गेट से जसवंत थड़ा होते हुए व इसी मार्ग का कर्व सूरसागर और चांदपोल रोड से, दूसरा पिछला रास्ता शहर परकोटे की ओर से नौचौकिया रानीसर पदमसर की तरफ से फतेहपोल की ओर आता है।
यह तलहटी भी हरी भरी

बरसों पहले इसकी तलहटी उजाड़ बन जैसी थी, लेकिन अब यह तलहटी भी हरी भरी है तो राव जोधा रॉक डेजर्ट पार्क में चांदनी रात में संगीत के सुर सजते हैं। कई राजा महाराजा, राजमाता, रानियों और युवराजों और युवरानियों की तो यादें जुड़ी ही हैं। इसके साथ कई संघर्षों की भी कहानी छुपी हुई है।
ब्ल्यू सिटी का खूबसूरत नजारा
आज किले की पहाड़ी और किले की तलहटी से शहर परकोटे की अनूठी आभा बिखेरते ब्ल्यू सिटी का खूबसूरत नजारा दिखता है। देसी विदेशी सैलानी किले से इस शहर का व्यू कैमरे में कैद कर बहुत खुश होते हैं। एक आम बात है कि शहर परकोटे के लोग तब तक खाना नहीं खाते, जब तक कि वे किला न देख लें। यह जोधपुर के लोगों की जिंदगी बदलने का साक्षी है तो शहर के बाशिंदे भी इससे बहुत प्यार करते हैं।
किले में अकबर और तैमूर की तलवारें भी हैं
इतिहास के अनुसार राव रणमल की मृत्यु के बाद उनके २४ वें पुत्र राव जोधा ने दुर्ग की नींव रखी। फिर जोधपुर-दुर्ग पर परकोटा जयपोल बनवाया गया। पाश्र्व में तेज ढलान और कटाव वाली चट्टानों के शीर्ष पर सीधी ऊंची एकल पहाड़ी पर यह भव्यतम गंतव्य दुर्ग है। किले में चामुंडा माता मंदिर, खूबसूरत झरोखे, गलियारे,दौलतखाना चौक,कोटयार्ड, जापा महल और एेतिहासिक तोपें भी हैं। दुर्ग में विक्रय केन्द्र, कला दीर्घाएंं हैं। इनमें टरबन गैलरी, पेंटिंग गैलरी और लोक संगीत वाद्य यंत्र गैलरी प्रमुख हैं। यहां मेहरानगढ़ म्यूजियम गैलरी अहम है। आर्मोरी में कई राजाओं की गोल्ड और सिल्वर वर्क की तलवारें,गन, शील्ड हैं। यहां अकबर और तैमूर की तलवारें भी हैं तो म्यूजियम में १८२८ के शिव पुराण का फोलियो भी है।
रिच और रिफ से नई पहचान

इस दुर्ग को 1972 में अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। किले के टेढ़े मार्ग, मेहरानगढ़ में ओडियो गाइड भ्रमण के लिए पर्यटकअपने कानों पर हैडफ ोन लगा कर इसका इतिहास जानते हैं। इसे एशिया का ‘बेस्ट ऑफ माइण्डÓÓ स्थल और स्मारक का दर्जा मिला है। यहां नेशनल जिओलॉजिकल मॉन्यूमेंट भी है। अमरीका की टाइम मैगजीन में जॉन रिच ने 25 अप्रैल 2007 को प्रकाशित अपने आलेख में लिखा है-‘सर्वोत्तम दुर्गों में एशिया का सुन्दरतम गंतव्य मेहरानगढ़ दुर्ग है। कई हिंदी और हॉलीवुड की कई फिल्मों और विज्ञापनों की शूटिंग हुई है तो शाही शादियों, आलीशान संगीतमय संध्या और जोधपुर रिफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगीत सम्मेलन होते हैं। अब किले में के जापा महल में पेंटिंग प्रदर्शनी लगती है। किले में ऊ पर जाने के लिए पहले यहां सीढि़यों से हो कर जाना होता था। अब लिफ्ट बना दी गई है।

मेहरानगढ़ फैक्टफाइल
किले की नींव : १२ मई १४५९
किले का स्थान : मंडोर के दक्षिण में ९ किलोमीटर दूर
जमीन से किले की ऊंचाई : ४०० फीट
बनावट : ५०० गज लम्बा, २५० गज चौड़ा

-एम आई जाहिर
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