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Pride Story : पिन्टू के हौसले को सलाम, औरों के लिए बने मिसाल

locationजोधपुरPublished: Apr 23, 2018 10:00:14 pm

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

सोशल प्राइड : हादसे में खोया हाथ, फिर भी पैरा खेलों में जीते कई मैडल, अब कोच बनकर सिखा रहे गुर

Pintu Gehlot teaching swimming to para players

Pintu Gehlot teaching swimming to para players

बासनी (जोधपुर).
महज 13 साल की उम्र में हुए सड़क हादसे में अपना एक हाथ खो देने के बाद भी पिंटू गहलोत ने हिम्मत नहीं हारते हुए पैरा खिलाड़ी के रूप में विशेष पहचान बनाई है। उम्र के उस पड़ाव में जब शरीर के थोड़ी सी भी चोट लगने पर बच्चा हताश हो जाता है, लेकिन पिन्टू ने उस समय शारीरिक विकलांगता की बेडिय़ों को तोड़ते हुए खिलाड़ी बनने की ठानी। बचपन में चौखा गांव की नाडी-तालाब में तैरते हुए अठखेलियां करने वाले पिन्टू ने हाथ गंवाने के बाद भी तैराकी को ही करियर के रूप में चुना।
करीब सात साल की मेहनत उस समय रंग लाई जब जोधपुर में पहली स्टेट पेरा चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ। तैराकी की इस प्रतियोगिता में इन्होंने 100 मीटर बैक स्ट्रोक में स्वर्ण व 50 मीटर फ्री स्टाइल में रजत पदक जीता। इसके बाद शुरु हुआ पदकों का यह सिलसिला आज दिन तक जारी है। आज के बासनी पत्रिका के अंक में पढि़ए पिन्टू गहलोत के इसी हौंसले, जीजीविषा व जज्बे की कहानी-

लोगों ने दिए ताने फिर भी नहीं हारी हिम्मत
पिन्टू ने बताया कि वर्ष 1998 में 13 साल की उम्र वे एक सड़क हादसे का शिकार हो गए। चौपासनी बाइपास रोड पर सिटी बस व ट्रक की टक्कर में उनका हाथ कट गया। अस्पताल में हाथ को कंधे के पास से काटना पड़ा। करीब 10 दिन अस्पताल व महिने भर घर रहने के बाद गहलोत ने वापस स्कूल की राह पकड़ ली। उनकी विकलांगता को लेकर लोगों ने कई बार ताने भी दिए। इसके बाद भी गहलोत नाडी तालाबों में तैरते हुए अपनी हिम्मत के सहारे तैराकी की तैयारी करते रहे।

एथलेटिक्स में भी दिखाया हुनर
गहलोत ने तैराकी के साथ ही अन्य एथलेटिक्स खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन कर अपना लौहा मनवाया। इन्होंने तैराकी के साथ ही दौड़, भाला फैंक, तस्तरी फैंक, किंग रोविंग(नौकायन) आदि में भी भाग लिया। गहलोत बताते हैं कि उन्होंने पैरा खिलाडिय़ों के साथ ही कई बार सामान्य जनों के साथ भी प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर अपने हौंसले का परिचय दिया है।
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पंद्रह सालों में जीते कई पदक-
गहलोत ने पिछले पंद्रह सालों में राज्य व राष्ट्र स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कई पदक जीते।
2005 में प्रथम स्टेट पेरा चैम्पियनशिप में 1 गोल्ड व 1 सिल्वर,

2006 से 2008 तक पेरा एथलिटिक्स में 6गोल्ड व 2 सिल्वर,

2007 में पैरा नेशनल चैम्पियनशिप में नौकायन के टीम इवेंट में 1 गोल्ड व 2 किमी तैराकी में 5 वां स्थान,
2009 में नेशनल पैरा चैम्पियनशिप में चौथा स्थान,

2010 में नेशनल पैरा एथलेटिक्स की एस 44 जूनियर वर्ग में भाला व तस्तरी फैंक में गोल्ड,

2010 से 15 तक ऑल इंडिया पैरा चैम्पियनशिप में चौथा व पांचवां स्थान,
2016 में प्रथम पैरा स्पोट्र्स स्वीमिंग चैम्पियनशिप में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर व 1 ब्रोंज मेडल,

2017 में पैरा स्पोट्र्स स्वीमिंग चैम्पियनशिप में 3 गोल्ड व 1सिल्वर मेडल जीता।

2012 में गणतंत्र दिवस पर जिलास्तरीय सम्मान
गत वर्ष विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर राज्य स्तर पर विशेष योग्यजन पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।


जीया समेत कई पैरा खिलाडिय़ों को सिखा रहे गुर


गहलोत ने बताया कि वे पिछले 8 सालों से राजस्थान पैरा स्वीमिंग टीम के साथ कोच के रूप में जुड़े हुए है। उनके निर्देशन में इस दौरान खिलाडिय़ों ने 150 से भी अधिक स्वर्ण पदकों पर कब्जा जमाया है। कुछ साल पहले सड़क हादसे में ही हाथ गंवाने वाली शहर की बेटी जीया भी गहलोत के निर्देशन में तैराकी सीखते हुए कई पदक जीत चुकी है। गहलोत ने बताया कि लोगों को स्वीमिंग सिखाने के लिए उन्होंने स्वीमिंग सेंटर खोला है। इसमें वे निशक्तजनों को मुफ्त में तैराकी का प्रशिक्षण दे रहे हैं। गहलोत का कहना है कि यदि खेलों में राजनैतिक हस्तक्षेप कम हो तो कई प्रतिभावान खिलाड़ी राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं।
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