राजस्थानी भाषा में इस तरह के संवाद मयूर नाट्य संस्थान की प्रस्तुति सुमंगली-माधवी नामक नाटक में लेखक लक्ष्मीनारायण रंगा और निर्देशक डॉ एसपी रंगा ने संजोये। अव्यवस्थाओं के बावजूद नाटक दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहा।
नाटक की शुरूआत माधवी और सुमंगली के परिचय के साथ शुरू होता है, एक पौराणिक काल की नायिका तो दूसरी आधुनिक षोडषी सुमंगली मात्र दो संवादों में अपने पात्र का परिचय दे देती है।
लेकिन आख्यान शुरू होता है राजा ययाती और ऋषी गालव के संवादों के साथ जो कि राजा से घोडों की सहायता मांगने आया था लेकिन राजा उसे अपनी पुत्री माधवी को भेज देते हैं। एक तरफ राजा हर्यस्व माधवी को दो सौ सफेद घोडों के बदले संतान प्राप्ति के लिए वामांग लेते हैं वहीं आधुनिक काल में सुमंगली की कथा भी समानांतर रूप से जारी रहती है।
सुमंगली के पात्र में डॉ नीतू परिहार ने व माधवी के रूप में पूजा जोशी पूरे नाटक में छाए रहे। नाटक में राजा ययाती के रूप में रमेश बोहरा, हर्यस्व बने कमलेश तिवारी, ऋषी गालव बने भरत वैष्णव, मिश्राजी-मजाहिर सुल्तान जई, देशमुख -डॉ हितेन्द्र गोयल, भजनलाल के पात्र में महावीर विश्नोई के अलावा अन्य पात्रों में प्रतिभा त्यागी, राहुल सिंह तंवर व नेहा जैन ने प्रभावित किया।
शनिवार शाम रिमझिम बरसात के चलते टाउन हॉल में सिंगल फैज करंट आ रहा था, जिससे ना तो लाइटिंग और ना ही साउंड सही ढंग से अपना काम कर रहा था। टाउन हॉल में अव्यवस्थाओं का आलम। शनिवार शाम निर्धारित नाटक सुमंगली माधवी इस लिए समय पर शुरू नही हो सका कि रिमझिम के चलते करेंट एक फेज में आ रहा था। जेनरेटर चालू हालात में नही है।