जोधपुर

POMEGRANATE—पाक-अफगान व बांग्लादेश तक पहुंची मारवाड़ का अनार

– प्रदेश का 90 प्रतिशत क्षेत्रफल प राजस्थान में
– बाड़मेर-जालोर व जोधपुर में बड़ी मात्रा में हो रहा उत्पादन
– महाराष्ट्र, गुजरात के बाद उत्पादन में देश में तीसरे नम्बर पर राजस्थान

जोधपुरMar 31, 2023 / 10:27 pm

Amit Dave

POMEGRANATE—पाक-अफगान व बांग्लादेश तक पहुंची मारवाड़ का अनार

जोधपुर।
मारवाड़ के किसानों का परम्परागत खेती के स्थान पर अनार बागवानी की खेती की ओर रुझान बढ़ा है और पं राजस्थान देश के अनार हब के रूप में उभरा है। इसी का नजीता है कि देश में अपने सिन्दूरी रंग व मिठास से खास पहचान बनाने वाले मारवाड़ का अनार विदेशों तक पहुंच गया है। अच्छी गुणवत्ता वाला अनार देश सहित पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मलेशिया, चीन, श्रीलंका, नेपाल के अलावा बांग्लादेश भेजी जा रही है, जहां से गल्फ देशों तक सप्लाई की जा रही है। अगर पश्चिमी राजस्थान में अनार की प्रसंस्करण इकाइयां लगती है तो किसानों की आय बढ़ाने में अनार का बड़ा योगदान हो सकता है।
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महाराष्ट्र को पछ़ाड दूसरे नम्बर पर आएगा राजस्थान

देश में अनार उत्पादन में महाराष्ट्र पहले व गुजरात दूसरे स्थान पर है। इनके बाद तीसरे नम्बर पर राजस्थान है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में महाराष्ट्र अनार उत्पादन में पिछड़ता जा रहा है, अगर यही िस्थति रही तो आने वाले समय में अनार उत्पादन में राजस्थान दूसरे नम्बर पर होगा। पं राजस्थान में जालोर, बाड़मेर, सिरोही, जैसलमेर, जोधपुर आदि जिलों में प्रमुखता से अनार की बागवानी की जा रही है। इनमें जालोर की जीवाणा मंडी देश की तीसरी अनाज मंडी के रूप में उभरी है।
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प्रदेश में 2010 से अनार की बागवानी शुरू

वर्ष 2010 से बाड़मेर जिले में अनार की बागवानी शुरू हुई थी। वर्तमान में करीब 50 हजार हैक्टेयर में अनार की बागवानी की जा रही है, जिससे करीब 80 हजार मीटि्रक टन उत्पादन हुआ है। पोमो (अनार) विशेषज्ञों की माने तो आने वाले समय में इसका क्षेत्रफल 70 हजार हैक्टेयर होने की उम्मीद है। प्रदेश के 90 प्रतिशत क्षेत्रफल जालोर, बाड़मेर, जोधपुर व जैसलमेर जिलों में है। इन क्षेत्रों का अनार का नरम बीज, सिन्दूरी- भगवा रंग होता है, जो काफी दिनों तक खराब नहीं होता है। इन्हीं गुणों के कारण यहां का अनार अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक गुणवत्तायुक्त है।
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इन कारणों से बढ़ा अनार की बागवानी का रुझान

– पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु के अनुकूल अनार की बागवानी।

– पानी में क्षारीयता व कम उपलब्धता के चलते भी बढ़ा रुझान।
– अनार के पौधों में ड्रिप प्रणाली से पानी देने व अन्य फसलों की अपेक्षा कम पानी की जरुरत ।

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पं राजस्थान के किसानों के परम्परागत खेती छोडकर बागवानी खेती अनार की खेती अपनाने से उनकी आर्थिक स्तर सुधरा है, जीवन शैली में बदलाव आया है। इससे अब उनको रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
डॉ राधाकृष्ण जोशी, पोमो (अनार) एक्सपर्ट
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