जोधपुर

पूनाराम अंकल की बदौलत कचरा बीनने वाली का बेटा भी जाता है अंग्रेजी स्कूल

ये हैं लोकतंत्र के रियल हीरो

जोधपुरJan 25, 2019 / 11:35 pm

Abhishek Bissa

पूनाराम अंकल की बदौलत कचरा बीनने वाली का बेटा भी जाता है अंग्रेजी स्कूल



जोधपुर. जोधपुर की सांसी बस्ती। यहां कोई कचरे बीनने वाला है तो कोई घरों में मजदूरी करने वाला। लेकिन आजकल यहां बच्चे मांओं को भूख लगने पर अंग्रेजी में पूछने लगे हंै कि मम्मी वाट यू हैव कुकड यानी के मम्मी आज खाने में क्या बना है? कुछ ऐसा ही बदलाव आया है समाजसेवी पूनाराम सांसी च्अंकलज् की बदौलत। 32 वर्षीय पूनाराम बैचलर ऑफ सोशियल वर्क की डिग्री हासिल करने के बाद लगभग एक दशक से गरीब तबके और शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने में अपना जीवन गुजार रहे हंै। जहां एक ओर युवा पढऩे-लिखने के बाद आजीविका की चिंता में ग्रस्त है तो वहीं युवा पूनाराम अब समाज के शिक्षा से वंचित बच्चों को सुधारने की जुगत में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
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पूनाराम सांसी बस्ती के समीप ही नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में 70-80 बच्चों को स्कूल भेजने लायक अलमा एंड आर्टर नाम की नि:शुल्क शिक्षण संस्था चलाते है। बाद में क्षेत्र में कचरा बीनने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लायक बनाकर उनका राइट टू एजुकेशन के जरिए नामी स्कूल में दाखिला करवाते हैं। ये बच्चे आजकल फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते हंै। स्वीडन दंपत्ती ने दिखाई राह स्वीडन देश के बिजनेसमैन दंपत्ती पैग और टोमस 2009 से लगातार जोधपुर आया करते थे। वे जोधपुर से हैंडीक्राफ्ट का माल खरीद आगे स्वीडन में बेचा करते। इसका जो मुनाफा आता, उसका कुछ हिस्सा अलमा एंड आर्टर पूनाराम सांसी की एनजीओ को चलाने को देते थे। दोनों ही दंपत्ती इन दिनों बीमार है। स्वीडन से पूनाराम की एनजीओ को पैसा भी आना बंद हो गया। इस कारण अब पूनाराम दोपहर को प्री स्कूल चलाते है। उसी पैसे को पुन: एनजीओ में लगाकर कचरा बीनने वाले और घरों में बर्तन साफ करने वाली महिलाओं के बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर देते हंै। उनके साथ इस कार्य में दिलीपसिंह टाक और प्रेमलता सिंघारिया भी अपना सहयोग दे रही है। जबकि क्षेत्र की सांसी बस्ती अवैध शराब बिक्री के मामले में कुख्यात है, लेकिन पूनाराम जैसी शख्सियत ने क्षेत्र में शिक्षा की नई बयार बहाना शुरू कर दिया है। इस कारण क्षेत्र के लोगों में भी खासी जागरुकता आ रही है। सांसी बस्ती में रागिनी और अवंतिका नाम की दो बालिका जिला व राज्य स्तर पर योग प्रतियोगिताओं में हिस्सा तक ले चुकी है और विजेता भी बनी है।

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