राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए इस साल प्रथम चरण अप्रेल और जून में आयोजित किया गया था। इसमें स्कूल की ओर से बालक-बालिकाओं व अध्यापकों की टोलियां का गठन कर अभिभावकों से विशेष रूप से संपर्क किया गया था। इसके अलावा ढोल और नगाड़ों के साथ रैलियां तक निकाली गई थीं। शिक्षकों को लगातार अभिभावकों के संपर्क में रहना था। इन सभी गतिविधियों के बावजूद शिक्षा विभाग के सरकारी विद्यालय अधिकतम बच्चों का नामांकन करने में फिसड्डी साबित हुए।
काम ? तो सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे
इन स्कूलों को नामांकन बढ़ाने के लिए कहा जाएगा। हमने भी न्यून नामांकन वाले विद्यालयों की सूची मांगी हैं। मर्ज करने जैसे कार्य तो राज्य सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे।