पिछले पांच महीनों से परिवहन निरीक्षकों ने ट्रायल ही नहीं ली, जबकि बगैर ट्रायल के लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता। पत्रिका टीम ने जब पड़ताल की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। जहां पर बैठकर परिवहन निरीक्षक ट्रायल लेते थे, वहां पर पेड़ के नीचे बैठा एक्स फौजी रजिस्टर में स्थायी लाइसेंस बनवाने के लिए आए आवेदकों और एजेंटों के नाम की एंट्री कर रहा था। हैरानी की बात तो यह है कि आखिर रेत से भरे ट्रैक पर ट्रायल होती भी है या नहीं या फिर कम जगह में कैसे हो रही है?
अधिकारियों का दावा-होती है ट्रायल बिना ट्रायल लिए ही जारी हो रहे स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों का दावा कुछ और ही है। उनका कहना है कि आवेदकों को लाइसेंस से पहले ट्रायल देना जरूरी होता है और कोई भी निरीक्षक बिना इसके लाइसेंस जारी नहीं करता।