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जीवित को मृत बताना इस डॉक्टर को पड़ा भारी, शासन ने यह दिए आदेश

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 10, 2018 11:59:08 am

Submitted by:

Dinesh Sahu

जीवित को मृत घोषित करने का मामला, डॉ. ठाकुर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

This doctor had to tell the living dead, the government ordered that

This doctor had to tell the living dead, the government ordered that

छिंदवाड़ा . मप्र स्वास्थ्य संचालनालय सेवाएं ने निलम्बित चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश ठाकुर के खिलाफ जीवित व्यक्ति को मृत बताने के मामले मेंं चार्जशीट दाखिल कर दी है। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम १९६६ के नियम १४ (३) अंतर्गत डॉ. ठाकुर के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित किया जाना प्रस्तावित है।
इसके साथ ही पत्र प्राप्ति के १५ दिवस की अवधि में अपना पक्ष क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर के माध्यम से प्रस्तुत करने की बात कही गई है तथा व्यक्तिगत सुनवाई, बचाव के लिए गवाहों की सूची, बचाव पक्ष के लिए अभिलेखों की सूची आदि प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हंै। वहीं निर्धारित समय अवधि में जवाब न दिए जाने पर एक पक्षीय कार्रवाई की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि जुन्नारदेव के हिंगलाज मंदिर के समीप चार मार्च २०१८ की रात को सडक़ हादसे में हिमांशु पिता रामेश्वर भारद्वाज का एक्सीडेंट हो गया था। इसके बाद उसे छिंदवाड़ा के एक निजी हॉस्पिटल से प्राथमिक उपचार देकर नागपुर रैफर कर दिया गया था। जहां के न्यूरॉन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मरीज को ब्रेनडेट घोषित कर वापस कर दिया था।
पांच मार्च को सुबह करीब ५.३० बजे जिला चिकित्सालय में ऑनड्यूटी डॉ. दिनेश ठाकुर ने परिजन के निवेदन पर मरीज की जांच की तथा पल्स न मिलने पर मृत घोषित कर पुलिस को सूचना देकर मरीज को मर्चुरी में रखवा दिया था। सुबह ८.३० बजे पोस्टमार्टम के समय मरीज की पल्स चलने लगी, जिसे स्वीपर संजू सारवान ने देखकर डॉक्टरों को सूचित किया था।
मामला प्रकाश में आने के बाद काफी हंगामा हुआ तथा गंभीर स्थिति में हिमांशु को दोबारा नागपुर के श्योरटेक हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। दस दिन बाद हिमांशु ने दम तोड़ दिया। उक्त मामले में डॉ. ठाकुर को प्रोटोकॉल का पालन न करने तथा लापरवाही पर दोषी मानते हुए शासन ने कार्रवाई की हैं।
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