एक्सपेरिमेंट और इनोवेशन संगीतकारों और गायकों की मानें तो आज के संगीत में प्रयोगधर्मिता और नयापन आ गया है। बॉलीवुड ने संगीत जगत को कई अमर गीत दिए हैं, जो सदाबहार हैं। कई पुराने नगमे तो एेसे हैं कि जिनकी लोकप्रियता हर दौर में बनी रही। इस पर आज के संगीतकारों ने कभी उन पर रीमिक्स बनाए तो कभी फ्यूजन म्यूजिक बनाया। आजकल तो इसका विस्तार यह हो गया है कि पुरानी फिल्मों ( old films ) के नगमे ( old songs ) नई फिल्मों में नये अंदाज में पेश किए जा रहे हैं। यह बात दीगर है कि ये नगमे ऑरिजनल सॉन्ग की बराबरी नहीं कर पा रहे।
2. तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त -मोहरा -मश्ीान 3. गुलाबी आँखें -द ट्रेन -नूर
4. दिल क्या करे जब किसी को -जूली -काबिल
6. ना जाने कहा से आई है -चालबाज -आई मी और मैं 7. हर किसी को नहीं मिलता -जांबाज -बॉस
8. ये चाँद सा रोशन चेहरा -कश्मीर की कली -स्टूडेंट ऑफ द ईयर
10. तम्मा तम्मा लोगे -थानेदार -बद्रीनाथ की दुल्हनिया 11. चलत मुसाफिर मोह लिया रे -तीसरी कसम -बद्रीनाथ की दुल्हनिया
12. हंगामा हो गया -अनहोनी -क्वीन 13. ओए ओए तिरछी टोपी वाले -त्रिदेव -अजहर
14. कजरा मोहब्बत वाला- किस्मत -तनु वेड्ज़ मनु
असल गाने को मात नही दे सकता कहते हैं कि अगर नींव मजबूत हो तो इमारत मजबूती से खड़ी रहती है, लेकिन पर यदि इमारत की दीवार ही कच्ची हो तो नींव भी उसे संभाल नही सकती। ठीक ऐसा ही आज के समय के रॉक गानों का हाल है। सदाबहार पुराने गानों के पुन: निर्माण का दौर आया तो है परंतु उसमें जैज, बीट, बास या रैप डालने से उस गाने का मूल रूप खोता जा रहा है। जहां एक तरफ ये चांद सा रोशन चेहरा गाने से हमें कश्मीर की वादियों का एहसास होता है, वहीं आज उसी गाने के नये रूप में केवल अभद्रता झलकती है। मन को शांत करने वाले गाने को थ्रॉबिंग स्टाइल में रोमांचकारी बनाने के लिए रैप डालने से वह हमें कुछ देर के लिए आकर्षित करेगा, लेकिन वह असल गाने को मात नही दे सकता। और तो और ये गाने बस आज की पीढ़ी की उस दौर के बारे में अवधारणाएं बनाने में ही मदद करते हंै।
-सतीश बोहरा
यह अच्छा नहीं है हम सब जानते हैं कि आजकल पुराने अच्छे गानों को बदल कर या वैसा का वैसा ही गाया व बजाया जा रहा है ,जो कि अच्छा नहीं है। यह एक तरह से गाना खुद न बना कर दूसरों की कल्पना के साथ छेडख़ानी करना है, जिससे उन गानों की ख़ूबसूरती खत्म हो जाती है।
-भूमिका सेवानी, गायिका व हारमोनियम वादक, जोधपुर
पुराने अच्छे गीतों को बदल कर या वैसा का वैसा गाना अच्छा है। इसका एक पहलू यह है कि चलो इसी बहाने लोग पुराने गाने भी सुन रहे हैं, मगर इससे नई कल्पनाओं को स्थान नहीं मिल पा रहा है।