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बड़ी खबर: रद्द होगी राजस्थान की ये बड़ी शिक्षक भर्ती, दोबारा भर्ती के लिए नए सिरे से जारी होंगें विज्ञापन

locationजोधपुरPublished: Jul 19, 2018 01:41:36 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

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गजेंद्र सिंह दहिया/जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती 2012-13 में फर्जीवाड़े की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय कमेटी के समन्वयक प्रो. पीके दशोरा ने एक साल तक शिक्षक भर्ती की जांच की। उन्होंने 1230 पेज की रिपोर्ट में सौ से अधिक स्थानों पर यह उल्लेख किया है कि विवि प्रशासन ने उन्हें कई चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। रजिस्ट्रार कार्यालय और संस्थापना शाखा दस्तावेज एसीबी में होने की बात कहती रही। शिक्षक भर्ती में विज्ञापन निकालने से लेकर इंटरव्यू तक अधिकांश जगह फर्जीवाड़ा था। पूरी रिपोर्ट में कहीं पर भी विवि के बारे में सकारात्मक बात नहीं लिखी गई है। रिपोर्ट में अलग-अलग पन्नों पर लगभग सभी 154 शिक्षकों, स्क्रूटनिंग कमेटी में शामिल विवि के हैड, डीन व डायरेक्टर का उल्लेख है। रिपोर्ट में एक महिला अभ्यर्थी के 13 पन्नों के गुमनाम पत्र का भी हवाला है। प्रो. दशोरा ने लिखा ‘इस अभ्यर्थी का चयन बगैर इंटरव्यू के कर दिया गया, लेकिन अभ्यर्थी ने पत्र में जो पीड़ा बताई है, उसका कंटेंट इतने निम्न स्तर के हैं कि उसका रिपोर्ट में उल्लेख नहीं किया जा सकता।’
यह है प्रो. दशोरा कमेटी की रिपोर्ट

– विवि की ओर से शिक्षक भर्ती 2011-12 में निकाला गया विज्ञापन गलत था।
– विवि ने शिक्षक भर्ती के लिए यूजीसी के ऑर्डिनेंस 317 और एआईसीटीई के 314 (4) को बदल दिया। ऑर्डिनेंस 317 के अंतर्गत पीएचडी रेगुलेशन का उल्लंघन करने वाले अभ्यर्थियों को भी योग्य मान लिया। 314 (4) केवल इंजीनियरिंग व प्रबंधन संकाय में भर्ती करने के लिए कहता है। विवि ने मास्टर ऑफ टूरिज्म अभ्यर्थी की भी भर्ती कर ली।
– विवि के पास रोस्टर ही नहीं था। ऐसे में आरक्षण की कहीं पालना नहीं हुई।
– फाइन आर्ट विषय में केवल एक ही विषय विशेषज्ञ था।
– प्रबंधन में पीएचडी के अंक जोड़े गए, जबकि कला, वाणिज्य, विज्ञान और इंजीनियरिंग में नहंीं। प्रबंधन में एक अभ्यर्थी ने आवेदन पत्र के साथ पीएचडी नहीं लगाई। उसने कुलपति के ई-मेल पर पीएचडी भेजी। एक अभ्यर्थी को पीएचडी के 20 अंक देकर मैरिट में लाया गया।
– कई विषयों में पैनल ऑफ एक्सपर्ट गलत था। राजस्थानी भाषा का इंटरव्यू हिंदी व गुजराती के शिक्षकों ने लिया।
– कई विषयों में इंटरव्यू में 200 से 250 अभ्यर्थी एक ही दिन बुलाए। विवि ने एक दिन में इतने अभ्यर्थियों का इंटरव्यू कैसे लिया।
– हिंदी विषय का इंटरव्यू तीन दिन क्यों हुआ।
– कई अभ्यर्थियों ने आवेदन के बाद दस्तावेज जमा करवाए थे और आश्चर्यजनक रूप से उनका चयन भी हुआ।
– राज्यपाल नॉमिनी तत्कालीन काजरी निदेशक एमएम रॉय इंटरव्यू के दिन जोधपुर में नहीं थे। इंटरव्यू पर उनके हस्ताक्षर कर दिए गए।
– प्रबंधन संकाय में कई के पास दस्तावेज नहंी थे, फिर भी प्रोफेसर से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर तक प्रबंधन में भर्ती कर लिए गए।
– एसीबी के कहने पर विवि ने एपीआई अंकों की जांच के लिए कमेटी गठित की थी। बगैर एपीआई के अंकों के पहले भर्ती कर ली गई।
– एसीबी ने साल भर पहले 70 शिक्षकों, हैड, डीन, डायरेक्टर को चार्जशीट में आरोपी बनाया। विवि ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। ये अभी भी हैड व डायरेक्टर बन हुए बैठे हैं।
– कई विभागों के पदों को अन्य विभागों में मर्ज कर मनमर्जी से भर्ती की गई।
– कई जगह शिक्षण अनुभव के अंक नहीं जोड़े गए।
– अंग्रेजी विषय में अधिकांश अभ्यर्थी फर्जी पाए गए।
– अर्थशास्त्र में इंटरव्यू बोर्ड को धत्ता बताकर एक जने का सलेक्शन कर दिया गया। एक्सपर्ट ने तब लिखा, आई डू नोट एग्री विद्।
– इतिहास विषय में एक दिन पहले ही लिफाफे बना लिए गए।
– दो अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र विवि ने गायब कर दिए जो आज तक नहीं मिले।
– प्रो. दशोरा ने लिखा कि जो शिक्षक भर्ती में चयनित हुए हैं या एसीबी की चार्जशीट में जिनका नाम है, उनको महत्वपूर्ण पद नहीं दिए जाए। विवि ने यह भी नहीं माना।
ये है इसका सारांश

प्रो. दशोरा ने कई जगह पर लिखा कि भर्ती प्रक्रिया में इतनी खामियां हैं कि इसे रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को सलाह दी कि पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर फिर से विज्ञापन जारी किए जाएं और इंटरव्यू लिए जाएं। प्रो. दशोरा ने सारांश के तौर पर अथवा शब्द का इस्तेमाल करके तीन-चार विकल्प दिए हैं। यह रिपोर्ट अब सिंडीकेट में रखी जाएगी।

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