हर साल यूजीसी सभी यूनिवर्सिटीज को एंटी रैगिंग गाइडलाइंस भेजती है। एंटी रैगिंग कमेटी बनाने के लिए सर्कुलर भी भेजा जाता है। 2017 से तो वेबसाइट के जरिए सीधे यूजीसी को भी शिकायत करने की सुविधा स्टूडेंट्स को दी गई है।
रैगिंग, यह शब्द पढऩे में सामान्य लगता है। इसके पीछे छिपी भयावहता को वे ही स्टूडेंट्स समझ सकते हैं जो इसके शिकार हुए हैं। आधुनिकता के साथ रैगिंग के तरीके भी बदलते जा रहे हैं। रैगिंग आमतौर पर सीनियर विद्यार्थी द्वारा कॉलेज में आए नए विद्यार्थी से परिचय लेने की प्रक्रिया थी, लेकिन समय के साथ इसका भयावह और अमानवीय रूप सामने आने लगा। गलत व्यवहार, अपमानजनक छेड़छाड़, मारपीट ऐसे कितने वीभत्स रूप रैगिंग में सामने आए हैं। सीनियर छात्रों के लिए रैगिंग भले ही मौज-मस्ती हो सकती है, लेकिन रैगिंग से गुजरे छात्र के जहन से रैगिंग की भयावहता मिटती नहीं है। मार्च 2009 में भी हिमाचल प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज के छात्र को रैगिंग के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
संभाग के सबसे बड़े डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में रैगिंग रोकथाम के लिए सख्त नियम बने हुए हैं। कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. शैतानसिंह राठौड़ ने बताया कि कोई भी छात्र-छात्रा किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर तुरंत ही एंटी रैगिंग कमेटी से शिकायत कर सकता है। इसके लिए कई जगहों पर कमेटी के सदस्यों के नंबर भी चस्पा किए गए हैं।
मेडिकल कॉलेज में आने वाले नए स्टूडेंट जो अन्य जिलों या राज्यों से आए हैं उन्हें तनावमुक्त रखने के लिए नियमित काउंसलिंग भी की जाती है। कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग की ओर से स्टूडेंट की समस्याओं को लेकर काउंसलिंग की जाती है। ऐसे स्टूडेंट्स को नए परिवेश में ढलने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए काम किया जाता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी रैगिंग को लेकर पूरी सख्ती है। यहां परिसर में विभिन्न जगहों पर लगे कैमरों के माध्यम से भी स्टूडेंट्स की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। वहीं परिसर पर ‘रैगिंग प्रतिबंधित है’ सरीखे पोस्टर भी जगह-जगह पर चस्पा किए गए हैं। इसके अलावा स्टूडेंट को तनाव मुक्त रहने एवं परिवारिक माहौल में ढालने के लिए समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
स्टूडेंट्स बोले-महफूज हैं हम कॉलेज परिसर स्टूडेंट की पढ़ाई के लिए अनुकूल है। यहां पर सभी स्टूडेंट मिलजुल कर आपसी, प्रेम, सद्भावना व भाईचारे के साथ रहते हैं। रैगिंग जैसी कोई घटना नहीं होती है।
रामदयाल जाखड़, छात्र