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फतेहपोल से जालोरी गेट के बीच आउट डेट हो चुकी है सीवरेज लाइन, जरा सी बारिश में बन जाता है मौत का नाला

locationजोधपुरPublished: Jun 30, 2019 03:54:01 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

फतेहपोल से लेकर जालोरी गेट के भीतर नगर निगम सीवरेज लाइन 35-36 साल पुरानी हो चुकी है। जबकि हर सीवरेज लाइन का डिजाइन वर्ष 2011 के अनुसार बनाया गया था।

sewage line in jodhpur

फतेहपोल से जालोरी गेट के बीच आउट डेट हो चुकी है सीवरेज लाइन, जरा सी बारिश में बन जाता है मौत का नाला

जोधपुर. हर शहर में एक पुराना परकोटा होता है, जो उस शहर की शक्ल होता है। लेकिन यकीन मानिए नगर निगम ने अपने शहर की शक्ल को पिछले साढ़े तीन दशक से नहीं देखा। फतेहपोल से लेकर जालोरी गेट के भीतर नगर निगम सीवरेज लाइन 35-36 साल पुरानी हो चुकी है। जबकि हर सीवरेज लाइन का डिजाइन वर्ष 2011 के अनुसार बनाया गया था। एक्सपायरी सीवर लाइन के आठ साल बाद भी नगर निगम ने इस जगह की सुध नहीं ली।
जबकि इस भाग में दो विधानसभा क्षेत्र शहर व सूरसागर मिलाकर डेढ़ लाख की आबादी बसती हैं। 20 हजार से अधिक मकान हैं। वर्तमान में यहां जरा सी बारिश आने पर पानी सीवर लाइन में चला जाता है। साथ ही बाळा बहना शुरू हो जाता है। इस बाळे के कारण आम जनजीवन से लेकर व्यापारी तक परेशान होते हैं। …तो कई दिनों तक नहीं जाएगा बाळा
भीतरी शहर में आजकल आधे घंटे की मूसलाधार बारिश में करीब डेढ़ घंटे तक बाळा बहता है। इस बाळे में कई दुकानें और सडक़ पर बने मकानों में पानी घुस आता है। इसकी वजह भी भीतरी शहर की सडक़ों पर बिछी आउटडेट सीवरेज लाइनें हैं। ये लाइनें जगह-जगह से क्षतिग्रस्त भी हंैं। इन हालातों में कभी राणीसर-पदमसागर तालाब का तेज बारिश में ओटा होता है तो चांदबावड़ी से जालोरी गेट की सडक़ तक कई दिनों तक बाळा नहीं जाएगा।
जबकि इस क्षेत्र में गूंदी मोहल्ला, नवचौकिया, ब्रह्मपुरी, व्यास पार्क, बोड़ों की घाटी, कुम्हारियां कुआ, भीमजी मोहल्ला व जालप मोहल्ला और घांचियों के न्याति नोहरे समेत दायीं-बायीं तरफ कई गली-मोहल्ले इसी सीवरेज लाइन से जुड़े हैं। करीब डेढ़ दशक पहले फतेहपोल से जालोरी गेट तक सडक़ बिछाने का कार्य जरूर हुआ था।
गली-मोहल्लों में हुआ सीवरेज वर्क, लेकिन मुख्य सडक़ों के नहीं सुधारे हालात
नगर निगम ने पार्षद कोटे से कई बार परकोटे के गली-मोहल्लों में सीवरेज व्यवस्था तो दुरुस्त की, लेकिन मुख्य सडक़ों की सीवरेज व्यवस्था को नहीं सुधारा। कई जगहों पर आठ इंच की पाइप लाइन हैं तो कहीं 4 इंच की सीवरेज लाइनें बिछी पड़ी है। इस कारण आए दिन सीवरेज सिस्टम ओवरफ्लो होता है।
घरों का 80 फीसदी पानी सीवरेज में
पूर्व में जनसंख्या के मद्देनजर सीवरेज लाइन डिजाइन की गई थी। आज जनसंख्या बढ़ गई है। घरों की संख्या में इजाफा हुआ है। उस जमाने में पानी का टोटा था, अब सप्लाई का 80 फीसदी पानी सीवरेज में बहता है। पचास साल पहले सीवरेज लाइनों के लिए चबूतरियां बनी थी, जहां सीवरेज पाइप को हर रात धोया जाता था। क्योंकि पानी सीवरेज में कम बहता था। अब प्रति घर 135 लीटर पानी में से सौ लीटर पानी बहाया जाता है। न्यू टाइप डिजाइन नगर निगम को तैयार करनी पड़ेगी। बार-बार सीवरेज ओवरफ्लो होने से बीमारियां फैलती है। बाळे के लिए निगम को इंतजाम करना चाहिए।
– राजेन्द्र पुरोहित, रिटायर्ड एक्सईएन, तत्कालीन यूआईटी
लाइनों पर लोड बढ़ा
1982-84 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। अमृत योजना में शहर जोन शामिल था, फतेहपोल से जालोरी गेट शामिल नहीं किया गया। लाइनों पर लोड बढ़ा है। इस बारे में कमिश्नर व महापौर से बात करेंगे।
– सुमनेश माथुर, मुख्य अभियंता, नगर निगम
नहीं डली नई सीवरेज लाइन
यहां 35-40 साल पहले पीएचईडी के सीवरेज एंड ड्रेनेज विभाग ने सीवरेज लाइन डाली थी। उसके बाद जालोरी गेट से फतेहपोल के बीच सीवरेज लाइन नहीं डाली गई। जनसंख्या के मद्देनजर अब रि-डिजाइन की आवश्यकता है। अगले पचास साल की प्लाङ्क्षनग को ध्यान में रखकर काम करना पड़ेगा। इस पर उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श कर फिजिबिलिटी देखेंगे।
– विनोद व्यास, एसई, नगर निगम
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