नगर निगम ने पार्षद कोटे से कई बार परकोटे के गली-मोहल्लों में सीवरेज व्यवस्था तो दुरुस्त की, लेकिन मुख्य सडक़ों की सीवरेज व्यवस्था को नहीं सुधारा। कई जगहों पर आठ इंच की पाइप लाइन हैं तो कहीं 4 इंच की सीवरेज लाइनें बिछी पड़ी है। इस कारण आए दिन सीवरेज सिस्टम ओवरफ्लो होता है।
पूर्व में जनसंख्या के मद्देनजर सीवरेज लाइन डिजाइन की गई थी। आज जनसंख्या बढ़ गई है। घरों की संख्या में इजाफा हुआ है। उस जमाने में पानी का टोटा था, अब सप्लाई का 80 फीसदी पानी सीवरेज में बहता है। पचास साल पहले सीवरेज लाइनों के लिए चबूतरियां बनी थी, जहां सीवरेज पाइप को हर रात धोया जाता था। क्योंकि पानी सीवरेज में कम बहता था। अब प्रति घर 135 लीटर पानी में से सौ लीटर पानी बहाया जाता है। न्यू टाइप डिजाइन नगर निगम को तैयार करनी पड़ेगी। बार-बार सीवरेज ओवरफ्लो होने से बीमारियां फैलती है। बाळे के लिए निगम को इंतजाम करना चाहिए।
– राजेन्द्र पुरोहित, रिटायर्ड एक्सईएन, तत्कालीन यूआईटी
1982-84 में सीवरेज लाइन डाली गई थी। अमृत योजना में शहर जोन शामिल था, फतेहपोल से जालोरी गेट शामिल नहीं किया गया। लाइनों पर लोड बढ़ा है। इस बारे में कमिश्नर व महापौर से बात करेंगे।
– सुमनेश माथुर, मुख्य अभियंता, नगर निगम
यहां 35-40 साल पहले पीएचईडी के सीवरेज एंड ड्रेनेज विभाग ने सीवरेज लाइन डाली थी। उसके बाद जालोरी गेट से फतेहपोल के बीच सीवरेज लाइन नहीं डाली गई। जनसंख्या के मद्देनजर अब रि-डिजाइन की आवश्यकता है। अगले पचास साल की प्लाङ्क्षनग को ध्यान में रखकर काम करना पड़ेगा। इस पर उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श कर फिजिबिलिटी देखेंगे।
– विनोद व्यास, एसई, नगर निगम