न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने रातानाडा निवासी एक महिला ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (
habeas corpus petition ) दायर कर कहा था कि उसकी बेटी लापता है। इस याचिका में एक प्रतिवादी माउंट आबू निवासी अरमान खान को बनाया गया था। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने पुलिस की मौजूदगी में युवती को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 12 जुलाई को उसे नारी निकेतन भेजने के आदेश दिए थे। युवती को पुलिस ने जम्मू जिले में लाइन ऑफ कंट्रोल (
LOC news ) से चार किमी पहले घूमते हुए दस्तयाब किया था। कोर्ट के पूछने पर युवती ने बताया कि वह मां के घर नहीं जाना चाहती। वह माउंट आबू निवासी अरमान के साथ रहना चाहती है।
युवती ने बताया कि मां का घर छोडऩे के बाद वह अरमान के साथ रही और उसने उसे अच्छे से रखा। कोर्ट में उसने कहा कि उसकी मां के जानकार कोर्ट परिसर में आए हुए हैं और उसके साथ जाने में उसकी जान को खतरा है। इस पर कोर्ट ने पाया कि 21 वर्षीय युवती पढ़ी लिखी है और अच्छे भविष्य के संबंध में निर्णय करने में सक्षम है। हालांकि, कोर्ट में युवती ने कहा कि उसने औपचारिक रूप से अरमान से शादी नहीं की है, लेकिन कोर्ट ने बालिग युवती के बयान को देखते हुए उसे सुरक्षित माउंट आबू पहुंचाने के आदेश दिए।