जस्टिस विश्नोई ने अपने 34 पेज के महत्वपूर्ण आदेश में एक मुहावरे का प्रयोग करते हुए उल्लेख किया- ‘कानून के हाथ लंबे होते हैं। इस मुहावरे का प्रयोग सिर्फ फिल्मों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए, बल्कि कानून के लंबे हाथ लोगों को हर तरह के अपराधों से सुरक्षित रखने के लिए भी फैलने चाहिए।’ उन्होंने आदेश के अंत में सुनवाई के दौरान सहयोग करने के लिए पुलिस कमिश्नर व मातहत अधिकारियों की प्रशंसा भी की। पुलिस ने पिछले शुक्रवार को बंद कोर्ट में हाईटैक अपराधियों के सम्बन्ध में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन भी दिया था। कोर्ट ने तब निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट में चल रहा मामला डॉ. सुनील चांडक को इटली से 17 मार्च व 14 अप्रेल 2017 को वीओआईपी सिस्टम से फोन पर धमकी देने वाले विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्का का है। पुलिस के पास कॉल्स के टेप हैं, लेकिन उनको पुख्ता सबूत के रूप में पेश करने के लिए आरोपियों का वॉयस सेम्पल लेने के लिए मेट्रो मजिस्ट्रेट 2 के समक्ष आवेदन किया था। मजिस्ट्रेट ने 6 सितम्बर 2017 को आवेदन खारिज कर दिया। इस पुलिस ने एडीजे 6 जोधपुर मेट्रो के समक्ष आवेदन पेश किया। वहां भी 27 अक्टूबर 2917 को खारिज कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत विविध आपराधिक याचिका दायर कर वॉयस सेम्पल लिए जाने की गुहार लगाई।