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फिल्मी डायलॉग ‘कानून के हाथ लंबे’ पर हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी, फिर इस मामले में पुलिस को दी शाबाशी

locationजोधपुरPublished: May 24, 2018 09:12:18 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

कानून के हाथ लोगों की सुरक्षा के लिए भी फैलने चाहिए-हाईकोर्ट
 

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आरपी बोहरा/जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश विजय विश्नोई ने बुधवार को जोधपुर पुलिस को रंगदारी के आरोपी विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्का के वॉयस सेम्पल लेने की इजाजत दे दी। इसके साथ ही इस बाबत दायर विविध आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए निचली अदालतों द्वारा जारी आदेशों को निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता पुलिस को एक सप्ताह में ट्रायल कोर्ट में वॉयस सेम्पल के लिए टैक्स्ट पेश करने व ट्रायल कोर्ट से दो सप्ताह में आरोपी को सेम्पल देने के लिए समन करने के निर्देश दिए हैं।

जस्टिस विश्नोई ने अपने 34 पेज के महत्वपूर्ण आदेश में एक मुहावरे का प्रयोग करते हुए उल्लेख किया- ‘कानून के हाथ लंबे होते हैं। इस मुहावरे का प्रयोग सिर्फ फिल्मों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए, बल्कि कानून के लंबे हाथ लोगों को हर तरह के अपराधों से सुरक्षित रखने के लिए भी फैलने चाहिए।’ उन्होंने आदेश के अंत में सुनवाई के दौरान सहयोग करने के लिए पुलिस कमिश्नर व मातहत अधिकारियों की प्रशंसा भी की। पुलिस ने पिछले शुक्रवार को बंद कोर्ट में हाईटैक अपराधियों के सम्बन्ध में पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन भी दिया था। कोर्ट ने तब निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि जोधपुर शहर की शांतिभंग करते हुए पिछले वर्ष स्थानीय व्यवसायियों को अंतरराज्यीय गेंग के सदस्यों ने कॉल कर रंगदारी की मांग की तथा फायरिग्ंा की वारदातों को अंजाम दिया था। यहां तक कि एक व्यवसायी वासुदेव इसरानी की हत्या तक कर दी गई थी। अपराधियों ने इसके लिए इन्टरनेट कॉल, व्हाट्सएप कॉल व फेसबुक की सहायता ली। पुलिस ने साइबर एक्सपट्र्स के सहयोग से कार्रवाई करते हुए अपराधियों तक पहुंचने में सफलता प्राप्त कर गिरफ्तारी भी की थी।
यह है मामला


कोर्ट में चल रहा मामला डॉ. सुनील चांडक को इटली से 17 मार्च व 14 अप्रेल 2017 को वीओआईपी सिस्टम से फोन पर धमकी देने वाले विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्का का है। पुलिस के पास कॉल्स के टेप हैं, लेकिन उनको पुख्ता सबूत के रूप में पेश करने के लिए आरोपियों का वॉयस सेम्पल लेने के लिए मेट्रो मजिस्ट्रेट 2 के समक्ष आवेदन किया था। मजिस्ट्रेट ने 6 सितम्बर 2017 को आवेदन खारिज कर दिया। इस पुलिस ने एडीजे 6 जोधपुर मेट्रो के समक्ष आवेदन पेश किया। वहां भी 27 अक्टूबर 2917 को खारिज कर दिया गया। अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत विविध आपराधिक याचिका दायर कर वॉयस सेम्पल लिए जाने की गुहार लगाई।
अप्रार्थी विक्का के अधिवक्ता फरजंद अली, संजय विश्नोई व नमन मोहनोत ने मामले में विविध आपराधिक याचिका को अपोषणीय बताया व सुप्रीम कोर्ट में लार्जर बैंच में इस तरह के मामले के पेंडिंग रहने का हवाला देते हुए पुलिस का आवेदन खारिज करने की मांग की। याचिकाकर्ता पुलिस की ओर से एएजी एसके व्यास, उप राजकीय अधिवक्ता विक्रमसिंह राजपुरोहित, एमएस पंवार सहित पुलिस कमिश्नर अशोक राठौड़, डीसीपी वेस्ट समीरकुमार सिंह, डीसीपी ईस्ट अमनदीप सिंह, स्वाति शर्मा आईपीएस एसीपी व प्रतापनगर थाने के सीआई अचल सिंह ने पक्ष रखा।
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