फ्लोराइड व खारे पानी वाली बस्तियां सबसे ज्यादा राजस्थान का पानी या तो फ्लोराइड की वजह से दूषित है या खारेपन की वजह से। दूषित पानी वाली बस्तियों में इन्हीं की संख्या ज्यादा है। प्रदेश की 5943 बस्तियों में फ्लोराइड का पानी सप्लाई हो रहा है, वहीं 12589 बस्तियों में खारा पानी दिया जा रहा है। 1036 बस्तियों में नाइट्रेट युक्त पानी सप्लाई हो रहा है।
आर्सेनिक व भारी धातु नहीं
राजस्थान के लिए एक सुखद पहलू यह है कि यहां के पानी में सबसे हानिकारक तत्व आर्सेनिक नहीं है। भारी धातु युक्त पानी की सप्लाई भी नहीं हो रही है। लोह मिश्रित पानी सप्लाई होने वाली बस्तियों की संख्या भी महज पांच ही है।
केंद्र से मिला पैसा नहीं हो पाया खर्च
पेयजल स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार से आया पैसा ही राजस्थान सरकार खर्च नहीं कर पाई, जबकि दूषित पानी के मामले में प्रदेश पहले स्थान पर है। भारत सरकार से गुणवत्ता प्रभावित हैबिटेशन्स में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए वर्ष 2009-10 से वर्ष 2017-18 तक पेयजल योजनाओं के लिए राज्य को 1326.97 करोड़ रुपए दिए गए। इनमें से महज 860.20 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई।
दूषित पानी से होता है फ्लोरोसिस लगातार दूषित पानी पीने से फ्लोरोसिस की बीमारी होती है। इससे दांत खराब हो जाते हैं। नसों पर दबाव पड़ता है। बाड़मेर व नागौर सहित कई जिलों के पानी में फ्लोराइड ज्यादा मात्रा में है। फ्लोरोसिस से हड्डियां टेढ़ी हो जाती है। पानी को चाहे अच्छी तरह फिल्टर कर दो, फिर भी मिट्टी के कण उसमें रह ही जाते हैं। इससे हैजा, टाइफाइड हो जाता है।
डॉ. आलोक गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज