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केंद्रीय जल मंत्रालय की इस रिपोर्ट से मचा राजस्थान में भूचाल, शुद्ध पेयजल के नाम पर हो रहा खिलवाड़

locationजोधपुरPublished: May 20, 2018 09:30:37 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

राजस्थान के लोग शुद्ध पानी के नाम पर जो पी रहे हैं, उसे यदि पेयजल की श्रेणी में रखा जाना चाहिए? केंद्रीय जल मंत्रालय की एक रिपोर्ट में हुए खुलासे

Drinking water problem in district hospital katni

Drinking water problem in district hospital katni

संदीप हुड्डा/जोधपुर. केंद्रीय जल मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हाल ही जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी पीने वाले लोग राजस्थान में हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार के शुद्ध पेयजल के दावों की भी पोल खुल गई है। प्रदेश में 19573 बस्तियां आज भी प्रदूषित पानी पी रही हैं, जबकि शुद्ध पेयजल को लेकर कई योजनाएं व अभियान चलाए जा रहे हैं। केंद्रीय पेयजल स्वच्छता मंत्रालय की ओर से 15 अप्रेल को जारी आईएमआईएस रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर में 70 हजार 340 बस्तियों आज भी दूषित पानी पी रही हैं। इनमें से 19573 बस्तियां राजस्थान की हैं। राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा दूषित पानी पीने वालों में पश्चिम बंगाल है। वहां 17477 बस्तियों में दूषित पानी जा रहा है। इसके बाद असम में 11019 बस्तियों के लोग दूषित पानी पी रहे हैं। सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तरप्रदेश के हालात अच्छे हैं। यहां 1379 बस्तियां ही इस सूची में हैं। गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, पुड्डुचेरी, सिक्किम, मिजोरम व अंडमान निकोबार की एक भी बस्ती ऐसी नहीं है जहां दूषित पानी सप्लाई हो रहा हो।
फ्लोराइड व खारे पानी वाली बस्तियां सबसे ज्यादा

राजस्थान का पानी या तो फ्लोराइड की वजह से दूषित है या खारेपन की वजह से। दूषित पानी वाली बस्तियों में इन्हीं की संख्या ज्यादा है। प्रदेश की 5943 बस्तियों में फ्लोराइड का पानी सप्लाई हो रहा है, वहीं 12589 बस्तियों में खारा पानी दिया जा रहा है। 1036 बस्तियों में नाइट्रेट युक्त पानी सप्लाई हो रहा है।
आर्सेनिक व भारी धातु नहीं


राजस्थान के लिए एक सुखद पहलू यह है कि यहां के पानी में सबसे हानिकारक तत्व आर्सेनिक नहीं है। भारी धातु युक्त पानी की सप्लाई भी नहीं हो रही है। लोह मिश्रित पानी सप्लाई होने वाली बस्तियों की संख्या भी महज पांच ही है।
केंद्र से मिला पैसा नहीं हो पाया खर्च


पेयजल स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार से आया पैसा ही राजस्थान सरकार खर्च नहीं कर पाई, जबकि दूषित पानी के मामले में प्रदेश पहले स्थान पर है। भारत सरकार से गुणवत्‍ता प्रभावित हैबिटेशन्‍स में स्‍वच्‍छ पेयजल आपूर्ति के लिए वर्ष 2009-10 से वर्ष 2017-18 तक पेयजल योजनाओं के लिए राज्य को 1326.97 करोड़ रुपए दिए गए। इनमें से महज 860.20 करोड़ की राशि ही खर्च हो पाई।
दूषित पानी से होता है फ्लोरोसिस

लगातार दूषित पानी पीने से फ्लोरोसिस की बीमारी होती है। इससे दांत खराब हो जाते हैं। नसों पर दबाव पड़ता है। बाड़मेर व नागौर सहित कई जिलों के पानी में फ्लोराइड ज्यादा मात्रा में है। फ्लोरोसिस से हड्डियां टेढ़ी हो जाती है। पानी को चाहे अच्छी तरह फिल्टर कर दो, फिर भी मिट्टी के कण उसमें रह ही जाते हैं। इससे हैजा, टाइफाइड हो जाता है।

डॉ. आलोक गुप्ता, वरिष्ठ आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज

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