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‘एनीमिया मुक्त राजस्थान’ बनाने में हम फिसड्डी, प्रदेश के कई जिलों का निराशाजनक प्रदर्शन

locationजोधपुरPublished: Sep 20, 2019 04:35:36 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

एनीमिया की दर कम करने के मामले में हमारा राजस्थान सबसे पिछड़ा हुआ है। ‘एनीमिया मुक्त’ राजस्थान कार्यक्रम में भारत सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 की प्रथम रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद जारी स्कोर कार्ड में हमारा राजस्थान 29 राज्यों में 26वें पायदान पर है।

Anemia is a big problem among the girls of Rajasthan.

Anemia is a big problem among the girls of Rajasthan.

जोधपुर. एनीमिया की दर कम करने के मामले में हमारा राजस्थान सबसे पिछड़ा हुआ है। ‘एनीमिया मुक्त’ राजस्थान कार्यक्रम में भारत सरकार की ओर से वर्ष 2019-20 की प्रथम रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद जारी स्कोर कार्ड में हमारा राजस्थान 29 राज्यों में 26वें पायदान पर है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (आरसीएच) ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिख इस पर गहरी चिंता जताई है।
प्रदेश में ये अभियान इसी साल जनवरी माह में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग व शिक्षा विभाग के संयुक्त सहयोग से शुरू हुआ था। इस कार्यक्रम का शुभारंभ चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने जोधपुर से किया था। पीसीटीएस पोर्टल पर वर्ष 2019-20 की माह अप्रेल से अगस्त तक की जारी रिपोर्ट में प्रदेश के अधिकतर जिलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
प्रदेश में एनीमिया मुक्त राजस्थान कार्यक्रम से जुड़े साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण व नेशनल आयरन प्लस इनिशिएटिव कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 180 व 360 एमजी की आयरन फोलिक एसिड की खुराक दी जाती है। कक्षा 6 से 12वीं तक के विद्यार्थियों को नीली गोली व कक्षा 1 से 5 के बच्चों को गुलाबी गोली खिलाई जाती है। वहीं स्कूल न जाने वाली 10 से 19 साल की छात्राओं को भी नीली गोली दी जाती है।
कई जिलों में बच्चों तक नहीं पहुंच रही आयरन की गोलियां
आंगनबाड़ी केन्द्र स्कूल नहीं जाने वाली 10 से 19 वर्ष की आयु की बालिकाओं तक आयरन फोलिक एसिड गोली नहीं पहुंचा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बाड़मेर जिले ने गत पांच माह में 1.58 प्रतिशत लक्ष्य ही अर्जित किया। इसी तरह दौसा 1.75, झालावाड़ 1.3 व जोधपुर 4.81 प्रतिशत तक ही लक्ष्य अर्जित कर पाए। राजधानी जयपुर में 29.62 फीसदी टारगेट अचीव हुआ है। इसी तरह 6 माह से पांच साल तक के बच्चों को सिरप पिलाने में भी कई जिलों का ऐसा ही हाल रहा है। सरकारी स्कूलों में भी बच्चों को नीली व गुलाबी गोलियां बराबर नहीं दी जा रही है।
इन जिलों में भी बुरे हाल
सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट अनुसार अजमेर, बारां, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चितौडगढ़़, चूरू, प्रतापगढ़, राजसमंद, दौसा, डूंगरपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, सीकर, सिरोही, टोंक, उदयपुर, जैसलमेर व कोटा का भी एनीमिया मुक्त राजस्थान कार्यक्रम को लेकर बुरा हाल है।
इनका कहना है
जहां कमियां हैं, उन्हें सुधारा जाएगा। इस बारे में रिपोर्ट पढऩे के बाद ही ज्यादा कुछ कह पाऊंगा।
– डॉ. बलवंत मंडा, सीएमएचओ, जोधपुर

एनीमिया मुक्त राजस्थान कार्यक्रम के तहत नियमित रूप से प्रदेश भर में मॉनिटरिंग की जा रही है। यह तीन विभागों के सहयोग से चल रहा कार्यक्रम है। राजस्थान की स्थिति पर नजर रखने व सुधार के लिए मॉनिटरिंग की प्रक्रिया में यह पत्र लिखा गया है।
– डॉ वीके माथुर, निदेशक, जन स्वास्थ्य व आरसीएच
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