सेठिया के काव्य में राजस्थान बोलता हैं- डॉ. राजपुरोहित
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– कवि कन्हैयालाल सेठिया साहित्य संवाद शृंखला
सेठिया के काव्य में राजस्थान बोलता हैं- डॉ. राजपुरोहित
जोधपुर. ख्यातनाम राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया एक आदर्श की सींव मे बंधे कालबोध के रचनाकार थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में अध्यात्म और दर्शन के माध्यम से रूपक को ज्यादा महत्व दिया मगर यह भी सत्य है कि उनकी रचनाओं में राजस्थान की धडकऩ है। मरूदेश संस्थान द्वारा रविवार दोपहर एक बजे आयोजित ख्यातनाम कवि कन्हैयालाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला में बोलते हुए जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के बाबा रामदेव शोध पीठ के निदेशक डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया ने राजस्थानी और हिंदी दोनों ही भाषाओं में काव्य सृजन किया मगर उनकों अपनी मायड़भाषा में लिखी रचनाओं से ही विश्व व्यापी पहचान और मान सम्मान मिला है। अत: यह कहना ज्यादा समीचीन होगा कि सेठिया के काव्य में राजस्थान बोलता है।
मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा ने उनके कुछ अनछुए पहलुओं को रखा।
कार्यक्रम के संयोजक सुमनेश शर्मा व किशोर सैन ने आभार व्यक्त किया। इस ऑनलाइन आयोजन में जयप्रकाश सेठिया, डॉ. जितेंद्र निर्मोही, डॉ. सुरेंद्र डी. सोनी, डॉ. मीनाक्षी बोराणा, कुमार अजय, डॉ. राजेंद्र कुमार सिंघवी, डॉ. जगदीश गिरि, डॉ. हरिराम बिस्नोई, निर्मला राठौड़, संतोष चौधरी, डॉ. शालिनी गोयल राजवंशी, डॉ. रामरतन लटियाल, महेंद्र सिंह छायण, डॉ .अनिता जैन , डॉ .सुखदेव राव, मोनिका गौड़, तनसुखलाल बैद, पंकज खेतान, सुनीता रावतानी, प्रगति चोरडिय़ा, मांगीलाल खरडिय़ा, डॉ. इंद्रदान चारण, सिद्धार्थ सेठिया, गिरधारी प्रजापत,कंचनलता शर्मा, डॉ. जयश्री सेठिया, शंकर शर्मा, हाजी शमसुद्दीन स्नेही, अशोक पुरोहित, रणजीत सिंह, कमलनयन तोषनीवाल, प्रहलाद सौलंकी, विष्णु शंकर, सहित देश -प्रदेश के अनेकानेक प्रतिष्ठित लोगों ने भाग लिया।
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