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जय जवान: राजस्थान की फौजी बेटियां सरहद पर फैला रही शिक्षा का उजियारा,मिशन education..

locationजोधपुरPublished: Sep 13, 2017 04:28:00 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

हथियार उठाने वाली बेटियां जगा रहीं सरहद पर शिक्षा की अलख…सीमा सुरक्षा बल और वायुसेना की महिला जवानों-अधिकारियों का अभियान..

rajasthani soldier women on mission

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पूर्णिमा बोहरा.सीमा पर दुश्मन के दांत खट्टे करने का माद्दा रखने वाली सीमा सुरक्षा बल और वायुसेना की बीस बेटियां इन दिनों राजस्थान में सामाजिक बदलाव के मिशन पर हैं। वे सरहद के गांवों में जा रही हैं और बता रही हैं कि बेटियों की शिक्षा और सीहत किस तरह से समाज के लिए जरूरी है। गांवों में लोग उनकी बातें ध्यान से सुनते हैं। महिलाएं और लड़कियां सेल्फी लेती हैं, उनके जैसा बनने की बात कहती हैं। अभी तक हाथों में हथियार लेकर चौकस निगाहें हो अथवा लडाकू विमानो से हवा की सवारी करने वालीसुरक्षा बलों की ये बीस बेटियां १४०० किलोमीटर का अपना सफर ऊंटों पर पूरा कर रहीे हैं। वे सात सौ किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी हैं। बाडमेर, जैसलमेर,जोधपुर लिों से हो कर वे अभी बीकानेर पहुंची हैं। यह सफर २ अक्टूबर को अटारी बाघा बॉर्डर तक पहुंचेगा। बात करना तो दूर, हाथ हिलाने में में भी संकोचपत्रिका से अनुभव साझा करते हुए स्क्वाड्रन लीडर अनौष्का लॉमस ने बताया कि अब वह ऊंटों की भी सफल चालक हो गई है, वे वायसेना में लडाकू विमानों की पायलेट हैं। अभियान के दौरान ऊंटों पर सवारी कर सीमावर्ती इलाकों में महिलाओं से मिलने का अनुभव अलग ही रहा, सीमावर्ती इलाकों में महिलाओं में बहुत ज्यादा हिचक है अभियान के दौरान ऊंटों पर हम सवार होकर निकलते समय राह में महिलाओं को देख हम हाथ हिला भी दें तो वह पहले अपने आस-पास देखेगी कि कोई देख तो नहीं रहा फिर धीरे से हाथ उपर उठाती है।
हमें देख लो, फिर बेटी को पढ़ाओ

सीमा सुरक्षा बल की सहायक समादेष्टा, तनुश्री पारीक ने बताया कि गांवों में हम अपना ही उदाहरण दे कर समझाते हैं, कि बेटियां किसी से कम नहीं होती। टीम में हिंदी सभी को आती है लेकिन मैं बीकानेर से हूं इसलिए मारवाडी में अनुवाद कर ग्रामीण महिलाओं को समझाती हूं कि वो अपनी बेटियों को पढाएं । दल का अनुभव यही है कि महिलाएं मान चुकी हैं कि वे पुरूषों से कमतर हैं। उनमें आत्म विश्वास जगाने की जरूरत है।
हम नहीं पढ़े, बेटियों को पढ़ाएंगे
गुंजनगढ की महिलाओं से बात करके जब वहां से निकले तो हमारे पास बीएसएफ कार्यालय से फोन आया कि कुछ महिलाएं आई है जो बेटियों को पढाना चाहती है उनका कहना है हम नहीं पढ़ पाए लेकिन मेरी बेटी आगे बढे़ यह सुनते ही हमारी टीम बहुत खुश हुई हमें लगा हमारी मेहनत रंग ला रही है।
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