संपत ने कहा कि आज आईटम्स सोंग इसलिए बनते हैं, ताकि यूथ को आकर्षित करें और वह थियेटर में आकर फिल्म देखें। लेकिन समय फिर से बदल रहा है और अब बाजार में कंटेन्ट चलता है, यह अच्छा ट्रेंड हैं। इसकी वजह से शायद हम फिर से सच्चे संगीत पर वापस आ जाएंगे।
संगीतकारों के पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होने की बात पर उन्होंने कहा कि इसमें कुछ सच्चाई है। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि एक वक्त था जब वे पश्चिम के संगीत से प्रभावित थे, लेकिन अब उस संगीत के प्रभाव से दूर आ चुके हैं। हालांकि पश्चिम संस्कृति से जो चीजें जरूरी होती हैं, वे आज भी उसका उपयोग करते हैं। क्योंकि कुछ चीजें पश्चिम में अच्छा करते हैं। जैसे वहां छोटे-छोटे कलाकार भी दुनिया भर में प्रसिद्ध हो जाते हैं। क्योंकि उनके मार्केटिंग का ढंग बहुत प्रभावित करता है। संपत ने कहा कि हमें उनसे सीखना चाहिए। हमें हमारी लोकसंस्कृति को री-पैकेज करके लाना चाहिए, जिससे यह जिंदा रहे। रियलिटी शो के माध्यम से संगीत के कॉम्पिटीशन की बात से उन्होंने असहमत होते हुए कहा कि म्यूजिक कॉम्पिटीशन नहीं है। यह इकलौती ऐसी चीज हैं, जहां कई लोग एक साथ जीत सकते हैं। यह आत्म संतुष्टि है। आज सारे कल्चर में संगीत धूम-धड़ाका हो गया है, लेकिन भारत में आज भी लोग खुद को सुकून देने के लिए अपने फेवरेट गाने गाते हैं।