पुलिस का कहना है कि हार्ट में तकलीफ के चलते रामूराम को गत 10 जून को अस्पताल लाया गया था। उसके दो वाल्व खराब थे। 14 जून को ऑपरेशन कर वाल्व बदल दिए गए थे। 21 जून को उसे छुट्टी दे दी गई थी। 25 जून को जांच के बाद परिजन उसे फिर से गांव ले गए थे, जहां शनिवार रात उसकी तबीयत खराब हो गई। उसे फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया। आइसीयू में रविवार तडक़े साढ़े तीन बजे उसकी मृत्यु हो गई। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर परिजन विरोध में उतर आए। वे हंगामा करने करने लगे। दोपहर तक अन्य ग्रामीण व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील चौधरी अस्पताल में एकत्रित हुए। शव मुख्य द्वार के पास रख धरने पर बैठ गए। वे अस्पताल संचालक को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे, लेकिन अस्पताल संचालक नहीं पहुंचे।
भीषण गर्मी में शव से दुर्गंध आने की आशंका के चलते परिजन ने बर्फ की शिलाएं अस्पताल मंगा ली। उस पर शव रखकर विरोध जारी रखा। देर रात फिर से अस्पताल प्रशासन व परिजन में वार्ता हुई। रात 12.10 बजे समझौता हो गया और पुलिस में बगैर कोई मामला दर्ज कराए शव गांव लेकर रवाना हुए।
डा सुनील चाण्डक, संचालक, श्रीराम अस्पताल।