सार्क देशों की सूची में म्यांमार डाल दिया कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताब में पृष्ठ संख्या 109 पर उत्प्रेषण लेख का अंग्रेजी नाम (क्यूओ वारंटो) लिखा हुआ है, जबकि सही अर्थ सेट्रीओरारी है। दूसरी ओर अधिकार पृच्छा के लिए अर्थ सेट्रीओरारी लिखा हुआ है, जबकि इसका सही अर्थ क्यूओ वारंटो है। जो किताब में विपरीत लिखा हुआ है। इस बात की सही पुष्टि भारत का संविधान पुस्तक में हो सकती है। कक्षा 9 की सामाजिक विज्ञान की किताब में साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन में म्यांमार देश का भी नाम डाल दिया, जबकि इसकी सूची मे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, नेपाल, भूटान व श्रीलंका हैं। इसमें भूटान की जगह म्यांमार देश का नाम डाल दिया गया है। सामाजिक विज्ञान की कक्षा नौ की किताब में नेपाल में सपरिवार हत्या वाले राजा का नाम महेन्द्र बताया जा रहा है, जबकि सही मायने में उनका नाम राजा वीरेन्द्र था, जिनकी सपरिवार हत्या हुई थी।
1984 के बाद 2014 में स्पष्ट बहुमत कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान के पेज संख्या 173 पर बताया गया है कि 1984 के बाद सीधा 2014 में
नरेन्द्र मोदी सरकार को स्पष्ट बहुमत मिला, जबकि यह गलत है। साल 1985 में
राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार को तीन चौथाई बहुमत हासिल हुआ था। ऐसे में सीधे तौर पर यह भ्रामक जानकारी है। वहीं पेज संख्या 168 पर राजनीति में अपराधीकरण की सारणी लिखी हुई है, नीचे कोई सारणी नहीं है। पेज संख्या 143 पर राज्यपाल की कुछ राज्यों में शक्तियां बताते हुए कहा गया है कि वे आदिम जातियों के कल्याण के लिए एक मंत्री नियुक्त करें। इसमें राज्यों के नाम गलत हैं। इसमें बिहार, मध्यप्रदेश व ओडिशा तीन राज्यों का नाम हैं। इसमें सही नाम छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश और ओडिशा होने चाहिए। इसमें बिहार का नाम गलत है। तीन राज्य नहीं, मंत्री नियुक्त करने वाले राज्य कुल चार हैं।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 22 न्यायाधीश
कक्षा 9 की सामाजिक विज्ञान की किताब में पेज संख्या 88 पर गलती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या 15 के बजाय 22 बताई गई है।
विद्यार्थियों को दे रहे गलत जानकारी
कुछ जानकारियां गलत हैं। वाकई में संशोधन की जरूरत है। कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में यह सवाल पूछे जाते हैं। इससे छात्र सही उत्तर देने में असमर्थ हो जाते हैं। इन पाठ्यपुस्तकों को प्रमाणित मानकर गलत उत्तर को न्यायालय में चुनौती देते है, जिसके कारण प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम जारी करने में विलंब होता है। बेमतलब आरपीएससी जैसी संस्थाओं को न्यायालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
– कोमलसिंह चंपावत, व्याख्याता, राजनीति विज्ञान त्रुटि सुधार दी जाती है पाठ्यपुस्तक मंडल से किताबें प्रकाशित होने से पहले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की विषयवार पू्रफ जांच होती है। इन विरोधाभास जानकारी की बाद में त्रुटि सुधार दी जाती है। वैसे स्कूल में शिक्षक सही जानकारी बच्चों तक दे देते है।
-बंशीधर गुर्जर, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा, जोधपुर मंडल