पानी और चारा भी परेशानी जिले के परम्परागत जलस्त्रोतों के सूखने के बाद खुले में विचरण करने वाले वन्यजीवों को पानी और चारे की तलाश में भटकाव के दौरान या तो हिंसक श्वान नोंच डालते है या फिर शिकारियों के हत्थे चढ़कर जान गंवानी पड़ती है। सड़क पार करते समय वाहनों से भी चोटिल होकर रेस्क्यू सेंटर लाते समय अधिकांश की मौत हो जाती है।
यह भी परेशानी पानी के अभाव में डी - हाइड्रेशन से वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । हरे चारे के अभाव में विटामिन ' ए ' की कमी से से वन्यजीवों में रतौंधी रोग भी बढ़ सकता है। चारे - पानी की तलाश में भटकने वाले चिंकारों को रात्रि के समय कम दिखाई देने के कारण खेतों में लगी तारबंदी में उलझकर जान तक गंवानी पड़ रही है। माचिया रेस्क्यू सेन्टर के पिछले तीन साल के आंकड़ों के अनुसार श्वान हमलों से 244, सड़क दुर्घटना में 15 और अन्य घटनाओं में 140 काले हरिण और चिंकारे घायल हुए है । इनमें से मात्र 67 ही ठीक हो पाए है।
माचिया रेस्क्यू सेंटर में घायल पहुंचे वन्यजीव 2019 - 2041 2020 - 1867 2021 - 1614 70 प्रतिशत की मौत जोधपुर जिले के अलग अलग वन्यजीव बहुल क्षेत्रों से घायल होकर आने वाले चिंकारे व काले हरिणों की प्रतिवर्ष संख्य 2 हजार से अधिक है। इनमें अधिकांश या तो मौके पर ही दम तोड़ देते है अथवा उपचार के लिए रेस्क्यू सेंटर लाने के दौरान काल कवलित हो जाते है। ऐसे वन्यजीवों की मौत का प्रतिशत 73 से 75 प्रतिशत है।
घायल होने की सूचना पर मौके पर रेस्क्यू टीम पहुंचती है लेकिन अधिकांश मामलों में रास्ते में लाते समय दम तोड़ देते है। हरे चारे पानी के अभाव में रतौंधी के मामले तो नहीं आए है लेकिन रोड एक्सीडेंट, तारबंदी में फंसकर और श्वान हमलों में घायल हाने की तादाद ज्यादा है।डॉ. ज्ञानप्रकाश, वन्यजीव चिकित्सक, माचिया जैविक पार्क जोधपुर