शिक्षा तन्त्र में निहित खोखलेपन की पोल खोलता ‘रिफण्ड’
टाउन हॉल में तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव की अंतिम प्रस्तुति
Published: 01 Mar 2021, 07:51 PM IST
जोधपुर. हंगेरियन नाटककार फ्रिटीस कॉरिन्थी का अकीय नाटक ‘रिफण्ड’अतिरंजना के स्वभाव का उपयोग करते हुए जितनी यथार्थ की परतें खोलता है उतना ही विसंगति में उतरता चला जाता है । राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से टाउन हॉल में रविवार को तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव की अंतिम प्रस्तुति ‘रिफण्ड’ एक नृशंस तंत्र की खुली व्याख्या बन जाता है, जिसकी संवेदनाएं मर चुकी है। जो बड़े बेशर्म तरीके से खुद को ही खुराक देने में व्यस्त है । उसे अपने पेट में से पैदा हुई संतति के प्रति कोई मोह नहीं है और न ही उसके हित में किसी तरह की कर्तव्य परायणता की भावना सम्बद्धता के तर्क में कुछ अर्थ नजर आता है । हंगरी देश के परिवेश में प्रस्तुत यह नाटक और इसकी स्थतियां अब विश्वजनीन सी लगती है । शिक्षा जैसे राष्ट्र व चरित्र निर्माण के सम्बंध व्यंग्य खुद अपने उपर हंसने और कचोटते है। सवालों की झड़ी और अध्यापकों का सनकी , जोकराना और विसंगत रवैया न केवल शिक्षा संस्थानों में व्याप्त हास्यास्पद तथ्यों की खिल्ली उडाता है बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था और तन्त्र में निहित खोखलेपन की पोल खोलता है रमेश बोराणा की परिकल्पना व निर्देशन में प्रस्तुत नाटक में मज़ाहिर सुलतान जई-प्रिंसिपल, हिस्ट्री मास्टर शब्बीर हुसैन,भूगोल मास्टर - रमेश भाटी, गणित मास्टर - कमलेश तिवारी, फिजिक्स मास्टर नवीन बोहरा पंछी तथा डा. हितेंद्र गोयल, सईद खान ने अपने दमदार अभिनय से खूब तालियां बटोरी। संगीत बिनाका जेश व निर्माण प्रबन्धन मदन बोराणा का रहा।
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