रीको और स्थानीय निकायों को देना होगा दो-दो करोड़ का मुआवजा
-जोधपुर, बालोतरा तथा पाली में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर जुर्माने के साथ चलेगा मुकदमा
जोधपुर
Updated: April 03, 2022 07:52:10 pm
जोधपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लूनी, बांडी तथा जोजरी नदी में औद्योगिक इकाइयों से फैल रहे प्रदूषण पर सख्ती दिखाते हुए रीको तथा स्थानीय निकायों को पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के बतौर दो-दो करोड़ रुपए का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ट्रिब्यूनल ने भविष्य में प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल को सतत निगरानी रखते हुए उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति सहित अभियोजन की कार्रवाई अमल में लाने को कहा है।
एनजीटी के चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल तथा विशेषज्ञ सदस्य डा.नागिन नंदा की पीठ ने जोधपुर, बालोतरा तथा पाली जिले में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं को निस्तारित करते हुए वैधानिक नियामकों यानी केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडलों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ व्यक्तिगत मुआवजे का मुद्दा वैधानिक नियामक के निर्धारण के लिए छोड़ा गया है, क्योंकि उल्लंघन करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और सभी इन न्यायिक कार्यवाही में पक्षकार नहीं थे। ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि एनजीटी ने सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया था, जिसने बालोतरा, जोधपुर तथा पाली के औद्योगिक और प्रदूषित क्षेत्रों का जायजा लेते हुए सभी हितधारकों से वार्ता के पश्चात दो चरणों में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पीठ ने कहा कि कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर मॉनिटरिंग कमेटी ने मामले को ट्रिब्यूनल द्वारा विचार करने और एक विशेष दृष्टिकोण के लिए छोड़ दिया था। ऐसे पहलुओं पर सभी संबंधित हितधारकों को उचित तरीके से अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जा सकता है। इसलिए, सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद इन मामलों की जांच करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण और राज्य मंडल को शामिल करते हुए एक समिति का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं। आवश्यक होने पर आगे के निर्देशों के लिए इस ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। इस समिति में आवश्यक समझे जाने पर विशेषज्ञों के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकेगा। निर्देशों की पालना रिपोर्ट 30 सितंबर, 2022 तक ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश करनी होगी।
पर्यावरण बचाने के लिए अहम निर्देश
-एनजीटी के आदेश से गठित मॉनिटरिंग समिति की विगत वर्ष दो चरणों मेंं दी गई सिफारिशों पर छह महीने में संबंधित अधिकारी अमल करेंगे।
-राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई अनुपचारित या आंशिक रूप से उपचारित प्रदूषित पानी लूनी, बांडी और जोजरी नदी या इससे जुड़ी भूमि पर नहीं छोड़ा जाए। यदि कोई ईटीपी, एसटीपी या सीईटीपी के ऑपरेटरों सहित कोई उद्योग पर्यावरण कानूनों और मानदंडों का उल्लंघन जारी रखता है तो उसे सील करने के निर्देश। ऐसे उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी इकाई से सुनवाई का अवसर देते हुए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि वसूली जाएगी। यह कवायद छह महीने में पूरी करनी होगी।
-पर्यावरणीय मुआवजे के तौर पर रीको को दो करोड़ रुपए का भुगतान करने के निर्देश, यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल में जमा करवानी होगी। इसी तरह बालोतरा तथा जोधपुर के स्थानीय निकायों और प्राधिकरण को पंद्रह दिन की अवधि में 2-2 करोड़ रुपए राज्य मंडल में जमा करवाने के निर्देश। यदि 6 महीने के भीतर प्रदूषण की रोकथाम नहीं की गई तो मुआवजे के तौर पर अतिरिक्त राशि देनी होगी।
-प्रदूषण मंडल को संबंधित जिला कलक्टरों के समन्वय से संबंधित क्षेत्रों का सर्वेक्षण करते हुए वायु और जल प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों की विस्तृत सूची तैयार करने की हिदायत। राज्य मंडल, संबंधित जिला कलक्टर और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की एक समिति इन क्षेत्रों की नियमित निगरानी करेगी और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुआवजे के आकलन के साथ-साथ अभियोजन सहित उचित उपचारात्मक कार्रवाई की जाएगी।
-पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति से वसूल की गई राशि का उपयोग पर्यावरणीय नुकसान के उपचार और मूल स्वरूप बहाली के लिए किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय व राज्य मंडल, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण और जिला कलक्टर की एक संयुक्त समिति दो महीने के भीतर योजना को अंतिम रूप देगी और छह महीने के भीतर इसे निष्पादित करेगी।

रीको और स्थानीय निकायों को देना होगा दो-दो करोड़ का मुआवजा
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