केस एक – न हाथ में ग्लब्ज ने दूरी
शुक्रवार दोपहर को बीकानेर डिपो की बस आरजे 07 पीबी 2268 रवाना हो रही थी। परिचालक के पास माक्स था लेकिन लगा नहीं रखा था। बस में सवारियां भी क्षमता से ज्यादा थी। परिचालक ने हाथ में ग्लब्ज तक नहीं पहन रखे थे तथा उसके पास सेनेटाइजर तक नहीं था। ऐसे में टिकट की राशि लेने के दौरान या टिकट चेक करने के दौरान वह भी कोरोना की चपेट में आ सकता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
केस दो- किसी भी यात्री की नहीं की स्क्रीनिंग
आरजे-15, पीए-2489 जोधपुर राइका बाग बस स्टैंड से जैसलमेर डिपो की बस रवाना हुई। एक-एक कर यात्री बस में चढ़े लेकिन यात्रा से पहले किसी भी यात्री की थर्मल स्केनर से स्क्रीनिंग नहीं की गई। परिचालक ने भी हाथ में ग्लब्ज नहीं पहन रखे थे।
केस तीन – पूछा तो याद आए ग्लब्ज व थर्मल स्केनर
आरजे-14, पीडी-6758 बस दोपहर को राइका बाग बस स्टैंड से जयपुर के लिए रवाना हुई लेकिन यात्रियों की स्क्रीनिंग इस बस में भी नहीं की गई। परिचालक ने मास्क नहीं लगा रखा था तथा हाथों में ग्लब्ज भी नहीं पहन रखे थे। पूछने पर उसने बाद में ग्लब्ज पहने तथा थर्मल स्केनर पास में होने की भी बात बताई लेकिन यात्रियों की स्क्रीनिंग क्यों नहीं की गई इसको लेकर कोई जवाब नहीं दे सका।
यह होना चाहिए जिससे न फैले कोरोना
– बस में बैठने से पहले यात्रियों की स्क्रीनिंग हो।
– चालरक-परिचालक खुद मुंह पर मास्क व हाथ में ग्लब्ज पहने।
– सेनेटाइजर साथ रखे तथा बार-बार हाथ सेनेटाइज करे परिचालक।
– टिकट बुक करने वाले कार्मिक भी चेहरे पर फैस शील्ड लगाकर रखे।