मारवाड़ में पले पढ़े, आगे बढ़े, सन १९७२-७३ में मुंबई शिफ्ट हो गए थे अटल कहते हैं कि उनका दो बार जन्म हुआ। पहली बार परमात्मा के रिकॉर्ड के अनुसार,२८ अक्टूबर १९४५ को और दूसरी बार स्कूली रिकॉर्ड के अनुसार, २ जुलाई १९४८ को जन्म हुआ। हास्य कवि होने के कारण यह उनके बात करने का अंदाज है। शिक्षा पाली जिले में जीजा शिक्षक गिरवरदान संादू के पास हुई। वहंा छह स्कूलों में पांचवीं तक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद छठी कक्षा में बालोतरा में पढ़ाई की। उसके बाद जोधपुर के महात्मा गांधी स्कूल सें
सातवीं कक्षा उत्तीर्ण की। यहीं से सिनेमा का शौक लग गया। वहीं आठवीं कक्षा माध्यमिक स्कूल बोरानाडा से प्राप्त की। जयहिंद कॉलेज से हाई स्कूल तक शिक्षा हासिल की।
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एक शख्स, कई फऩ
अटल एक ही वक़्त में कवि, पटकथा लेखक, संवाद लेखक, फिल्म निर्देशक व वितरक भी हैं। उन्होंने सूरज बडज़ात्या निर्देशित विवाह ..और प्रेम रतन धन पायो ..फिल्मों के संवाद लिखे हँैं। काव्य पाठ के हवाले से देश विदेश
में ४००० से ज्यादा कार्यक्रम पेश कर चुके हैं। अटल टेली फिल्म नमूना और शर्मा गए सिनेमा नामक डॉक्युमेंट्री फिल्म भी बना चुके हैं। उन्होंने हास्य नाटक ‘एक चतुर नार Ó भी लिखा है।
सातवीं कक्षा उत्तीर्ण की। यहीं से सिनेमा का शौक लग गया। वहीं आठवीं कक्षा माध्यमिक स्कूल बोरानाडा से प्राप्त की। जयहिंद कॉलेज से हाई स्कूल तक शिक्षा हासिल की।
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एक शख्स, कई फऩ
अटल एक ही वक़्त में कवि, पटकथा लेखक, संवाद लेखक, फिल्म निर्देशक व वितरक भी हैं। उन्होंने सूरज बडज़ात्या निर्देशित विवाह ..और प्रेम रतन धन पायो ..फिल्मों के संवाद लिखे हँैं। काव्य पाठ के हवाले से देश विदेश
में ४००० से ज्यादा कार्यक्रम पेश कर चुके हैं। अटल टेली फिल्म नमूना और शर्मा गए सिनेमा नामक डॉक्युमेंट्री फिल्म भी बना चुके हैं। उन्होंने हास्य नाटक ‘एक चतुर नार Ó भी लिखा है।
धारावाहिकों का भी लेखन किया है अटल ने मूवर्स और शेकर्स और ‘नहले पे दहलाÓ धारावाहिकों का भी लेखन किया है। ‘हम क्या समझते नहीं हैंÓ और ‘ढाई आखर हास्य केÓ उनके हास्य व्यंग्य काव्य संग्रह हैं। फिल्म इण्डस्ट्री पर कटाक्ष पर आधारित उनका हास्य व्यंग्य लेख संग्रह ‘फिल्म
पुराण Ó नाम से प्रकाशित हो चुका है। इस किताब का अभिनेता गोविंदा ने विमोचन किया था। उन्हांेने भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर हास्य लेखों पर आधारित ‘साहब बाथरूम में हैÓ किताब भी लिखी है। उनकी हास्य व्यंग्य कविता ‘क्या हमारे पूर्वज बंदर थेÓ छत्तीसगढ़ राज्य की ग्यारहवीं कक्षा के कोर्स में शामिल है। उन्होंने राजश्री मीडिया के लिए १९ वीडियो बनाए और उनका वितरण भी किया है।
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विदेश यात्राएं
आसकरण अटल अमरीका, रूस, हांगकांग, थाईलैंण्ड, बैल्जियम, जर्मनी,स्विटजरलैंड, हॉलैंड, नेपाल, यूएई, ओमान,सिंगापुर, कनाडा, चीन, इंग्लैण्ड, नॉर्थ आयरलैंड, वेल्स और म्यान्मार आदि देशों की यात्रा कर
चुके हैं।
आसकरण अटल के लिखे डायलॉग के उदाहरण
१.फिल्म विवाह सीन -क्लाइमैक्स के सीन में आलोकनाथ अनुपम खेर से कहते हैं
:-सब बेटों के पिता आप जैसे हो जाएं तो कोई बेटी बाप के लिए बोझ नहीं रह
जाएगी।
पुराण Ó नाम से प्रकाशित हो चुका है। इस किताब का अभिनेता गोविंदा ने विमोचन किया था। उन्हांेने भारतीय सिनेमा की शताब्दी पर हास्य लेखों पर आधारित ‘साहब बाथरूम में हैÓ किताब भी लिखी है। उनकी हास्य व्यंग्य कविता ‘क्या हमारे पूर्वज बंदर थेÓ छत्तीसगढ़ राज्य की ग्यारहवीं कक्षा के कोर्स में शामिल है। उन्होंने राजश्री मीडिया के लिए १९ वीडियो बनाए और उनका वितरण भी किया है।
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विदेश यात्राएं
आसकरण अटल अमरीका, रूस, हांगकांग, थाईलैंण्ड, बैल्जियम, जर्मनी,स्विटजरलैंड, हॉलैंड, नेपाल, यूएई, ओमान,सिंगापुर, कनाडा, चीन, इंग्लैण्ड, नॉर्थ आयरलैंड, वेल्स और म्यान्मार आदि देशों की यात्रा कर
चुके हैं।
आसकरण अटल के लिखे डायलॉग के उदाहरण
१.फिल्म विवाह सीन -क्लाइमैक्स के सीन में आलोकनाथ अनुपम खेर से कहते हैं
:-सब बेटों के पिता आप जैसे हो जाएं तो कोई बेटी बाप के लिए बोझ नहीं रह
जाएगी।
२.फिल्म प्रेम रतन धन पायो
सीन ए- एक प्रसंग में प्रेम (सलमान खान) कहता है:-हर फैमिली में प्रॉब्लम है, पर वो ख़ुशनसीब हैं जिनकी फैमिली होती है। सीन -बी -राजकुमारी मैथिली (हीरोइन सोनम कपूर) कहती है, हम भी फुटबॉल खेलेंगे, तब हीरो सलमान खान कहता है : लो आइसक्रीम भी कहती है मुझे दांतों से चबाओ (इस संवाद में राजस्थानी भाषा की खुशबू महसूस होती है।
राजस्थानी में एक कहावत है-राबड़ी कैवे म्हनै दांतां ऊं चबाओ। यह कहावत हास्य और व्यंग्य के तौर पर चुटकी लेने के लिए इस्तेमाल की जाती है। राबड़ी राजस्थानी व्यंजन है। लेखक आशकरण अटल ने बड़ी खूबी से राजस्थानी
की इस कहावत का हिन्दीकरण कर दिया और संवाद खूबसूरत हो गया। इस तरह फिल्म में जोधपुर की आपणायत झलकी।)
सीन ए- एक प्रसंग में प्रेम (सलमान खान) कहता है:-हर फैमिली में प्रॉब्लम है, पर वो ख़ुशनसीब हैं जिनकी फैमिली होती है। सीन -बी -राजकुमारी मैथिली (हीरोइन सोनम कपूर) कहती है, हम भी फुटबॉल खेलेंगे, तब हीरो सलमान खान कहता है : लो आइसक्रीम भी कहती है मुझे दांतों से चबाओ (इस संवाद में राजस्थानी भाषा की खुशबू महसूस होती है।
राजस्थानी में एक कहावत है-राबड़ी कैवे म्हनै दांतां ऊं चबाओ। यह कहावत हास्य और व्यंग्य के तौर पर चुटकी लेने के लिए इस्तेमाल की जाती है। राबड़ी राजस्थानी व्यंजन है। लेखक आशकरण अटल ने बड़ी खूबी से राजस्थानी
की इस कहावत का हिन्दीकरण कर दिया और संवाद खूबसूरत हो गया। इस तरह फिल्म में जोधपुर की आपणायत झलकी।)
ये मिले इनाम
-काका हाथरसी पुरस्कार-२००८
आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (प्रथम)-महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य
अकादमी-२००८-९, २०१३
काका हाथरसी पुरस्कार-२००८
आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (प्रथम)
महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी-२००८-९, २०१३
-काका हाथरसी पुरस्कार-२००८
आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (प्रथम)-महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य
अकादमी-२००८-९, २०१३
काका हाथरसी पुरस्कार-२००८
आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (प्रथम)
महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी-२००८-९, २०१३